बिहार: सड़कें, पुल और गांव बह गए, पर अडिग रहा 600 साल पुराना 'अमर कुआं'- देखें तस्वीरें

मिली जानकारी के अनुसार 15 जून के पहले सतह से करीब ढाई-तीन फीट ऊंचाई में इसका प्लास्टर था, जो अब भी वैसा ही है. तस्वीर बदली है नीचे की. कुएं के अंदर की ढलाई जमीन गायब होने से 15 फीट तक साफ दिख रही है.

98 साल के ग्रामीण शिवनारायण काजी ने बताया कि कुएं का किनारा पहले अंदर लकड़ी से बंधा था. आजादी के बाद सरकार ने 100 फीट गहरे कुएं में ईंट-प्लास्टर करवाया था.
हरहा नदी में 16 जून को आई बाढ़ ने तबाही मचाई और 15 फीट जमीन खखोर कर बहा ले गई. बाढ़ के पानी ने गांव के सैकड़ों घरों को बहा दिया. रास्ता से लेकर पेड़ तक सब तहस-नहस हो गए, पर यह कुआं अटल रहा.
जानकारों की राय में यह तस्वीर 600 साल पुरानी मजबूती और ईमानदार विरासत की है. उस दौर में किए गए ईमानदार काम 600 साल बाद भी भयंकर बाढ को झेल गया, लेकिन हमारे सामने ऐसे उदाहरण भी सामने आते हैं जब कल का बना पुल आज बह जाता है.
बता दें कि बगहा के दोन इलाके के 26 गांवों में आवागमन और स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल नहीं है. 25 किलोमीटर जंगल और 10 नदियों को पार कर उस इलाके में जाने की मजबूरी होती है.
दोन के इलाकों के कुल 26 गांव दो पंचायतों से जुड़े हैं. इस इलाके के लोग बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाते है. पहले इस इलाकों में जाने के लिए बैलगाड़ी यातायात का साधन था. अब ट्रैक्टर ही आने जाने का माध्यम है.

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