कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना: पति की मौत के बाद कफन के लिए दर-दर भटकती रही रुकमणी, हुक्मरानों ने कही ये बात

संवाद सूत्र, शंभुगंज (बांका)। गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना काफी मुश्किल हो रहा है। सरकारी दफ्तरों में बिचौलियागिरी बढ़ने से कई लाभुकों को रोजाना बेवजह कार्यायलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। हालत यह कि कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना की राशि के लिए लाभुकों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। मिर्जापुर पंचायत के गोपालपुर गांव की विधवा रूकमणी देवी ने जो कुछ बताया वो इस बात की तस्दीक करता है।

विधवा ने बताया कि पति फंटुश मंडल का निधन पिछले सप्ताह सर्पदंश से हो गया है। फंटुश मंडल खेती-किसानी के सिलसिले में बहियार गया था। सर्पदंश पर इलाज के लिए सीएचसी पहुंचे, वहां से चिकित्सक ने मायागंज रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में ही पति ने दम तोड़ दिया। शव का दाह संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना की राशि मांगने मुखिया के पास गए लेकिन मुखिया ने राशि नहीं रहने की बात कह चुप्पी साध लिया।
अंत में रिश्तेदारों ने चंदा इकठ्ठा किया एवं महाजन से कर्ज लेकर किसी तरह दाह संस्कार किया गया। सीओ अशोक कुमार सिंह ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि बाढ़ग़्रस्त इलाके में आपदा का लाभ मिलता है। विधवा रूकमणी देवी को आपदा एवं कबीर अंत्येष्टि दोनों में से किसी योजना का लाभ नहीं मिल सका है। पीड़िता बताती है कि अब श्राद्ध कर्म और पांच छोटे-छोटे संतानों के परवरिश की चिंता सता रही है।
मुखिया हीरालाल पासवान ने बताया कि रुकमणी देवी बीपीएल में आती है। कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना के लिए कुछ कागजी प्रक्रिया होती है। इसके लिए पंचायत सचिव को कहा गया है। वहीं, बीडीओ प्रभात रंजन ने कहा कि कबीर अंत्येष्टि की राशि लाभुकों को दाह संस्कार के समय मिल जानी चाहिए। विधवा को योजना का लाभ मिले , इसके लिए प्रयासरत हैं। कुल मिलाकर हुक्मरानों ने बयानबाजी कर ली, विधवा को कब तक योजना का लाभ मिलेगा, इसका सही समय किसी ने नहीं बताया।

अन्य समाचार