Tokyo Olympic : नीरज के स्वर्ण पदक के लिए भारत जेलेजनी की भी रहेगा शुक्रगुजार, जिनके यूट्यूब वीडियो ने नए सितारे को गढ़ा

Highlights भारत नीरज जैसे सोने को गढ़ने के लिए दिग्गज जेवेलिन स्टार जेलेजनी का नीरज ने शुरूआत में यूट्यूब पर जेलेजनी की वीडियोज देखकर तकनीक सिखा नीरज के बहुत सारी तकनीक जेलेजनी से मिलती है

टोक्यो : देश को टोक्यो ओलंपिक में एकमात्र और भारत के एथलिट के इतिहास में पहला स्वर्ण पदक जीताने वाले नीरज चोपड़ा ने नया इतिहास रच दिया है । उन्होंने अपने प्रदर्शन से भारत के करोड़ो लोगों के दिलों को जीत लिया लेकिन पूरा भारतवर्ष शुक्रगुजार है चेक जेवलिन के महान खिलाड़ी जान जेलेजनी का , जिनका भले ही भारत से कोई लेना-देना न था लेकिन देश उनका आभारी है । उन्होंने अपनी तकनीक से एक उभरत हुए सितारे को आकार दिया और नीरज ने आखिरकार कर दिखाया ।
भारत जेलेजनी का भी शुक्रगुजार है
आपने एक विजेता नीरज को देखा होगा लेकिन क्या आप जानते है इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत के साथ अपना सबकुछ समर्पित कर दिया था । एक ऐसा खेल चुनना, जिसे भारत में कई लोग जानते भी न हो कि ये एक खेल है । उसके लिए उनका सफर आसान कैसे हो सकता है । एक किशोर के रूप में नीरज ने शुरू में यूट्यूब पर चेक के थ्रो के वीडियो देखकर जेलेजनी के इर्द-गिर्द अपनी तकनीकी का मॉडल तैयार किया जबकि 2018 के अंत में चोट लगने के बाद उन्हें अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव करना पड़ा । उन्होंने बिल्कुल जेलेजनी की तरह ही हवा में अपने पैरों को रखकर थ्रो करना शुरू किया, जिसमें जेलेजनी भी कभी असफल नहीं रहे । नीरज ने अपनी शुरूआत में ही अपने प्रदर्शन से ये बता दिया था कि वह जेवेलिन में कुछ कमाल कर दिखाएंगे । उन्होंने पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र जूनियर एथलीट के रूप में शुरुआत की । उन्होंने 2011 से शुरू होकर 4 साल तक केंद्र में प्रशिक्षण लिया । विभिन्न आयोजनों में कई रिकॉर्ड स्थापित किए।
प्रतिदिन नए कृतिमान बनाते गए नीरज
2012 में 14 वर्षीय नीरज ने लखनऊ में राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप में 68.46 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था । इसकी मदद से उन्हें राष्ट्रीय शिविर में प्रवेश मिल गया । उन्होंने इस थ्रो को अगले साल केरल की तिरुअनंतपुरम में 69.66 मीटर तक सुधारा । उसके बाद 2014 में 70 मीटर के निशाने को पार किया।
फिर इस बिंदु से आगे बढ़ते हुए उन्होंने 2015 में 80 मीटर के लक्ष्य को पार किया । पटियाला में इंटर-वर्सिटी चैंपियनशिप का स्वर्ण जीतने के बाद 81.04 मीटर तक भाला फेंका । 2016 में नीरज ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर 86.48 मीटर का थ्रो रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता । आज तक इस रिकॉर्ड को कोई नहीं तोड़ पाया है ।
और बाकी इतिहास है, एक लंबा संघर्ष है । नीरज ने 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में मेडल जीतकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया था । चोट और लॉकडाउन ने उन्हें थोड़ा विचलित जरूर किया लेकिन वह व्यथित नहीं हुए । उन्होंने अपना 100 प्रतिशत दिया । परिणाम से ज्यादा अपना खेल पर ध्यान दिया । नीरज के संघर्ष की सबसे बड़ी सीख यही है कि आपको एक ही दिन परफॉर्म करना होता है लेकिन उसके लिए आप रोज मेहनत करते हैं । हर दिन एक नया मुकाम हासिल करने के लिए लड़ते हैं । हर दिन आपना लक्ष्य खुद निर्धारित करते है औऱ हासिल करते हैं ।

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