कम उम्र में शादी होने से नहीं हो रही मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी

संवाद सूत्र, छातापुर(सुपौल) : मुख्यालय स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय सुरपतगंज में तरंग किशोरावस्था शिक्षा कार्यक्रम के तहत सेंटर फोर कैटेलाईजिग चेंज के द्वारा आनलाइन सत्र का आयोजन किया गया। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद बिहार महेंद्रू पटना से जुड़े सेंटर फोर कैटेलाईजिग चेंज के संजय कुमार सिंह ने बताया कि देश में अमूमन 40 फीसद लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से पूर्व हो रहा है। जिसकी वजह से मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी नहीं हो पा रही है। बताया कोरोना व लाकडाउन की वजह से आनलाइन सत्र का विशेष महत्व है। इसके मद्देनजर तरंग संचालित जिलों में साप्ताहिक आनलाइन सत्र का आयोजन किया जा रहा है। माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के लिए आयोजित सत्र में कम उम्र में विवाह और उसके दुष्परिणाम विषय पर प्रकाश डाला गया। शिक्षिका आनंद भारती, संगीता कुमारी व शिक्षक जितेंद्र कुमार के द्वारा छात्रा सरला एवं नेहा की कहानी के माध्यम से कम उम्र में विवाह व गर्भधारण के दुष्परिणाम के संदर्भ में जानकारी दी गई। बताया गया कि देश में किशोरावस्था में गर्भधारण आम है और इसके बहुत से कारण है। अशिक्षा, पुरुष प्रधान समाज, पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव आदि के दुष्परिणाम लडकों की अपेक्षा लड़कियों पर ज्यादा है। जितने कम उम्र की मां उतने भयंकर परिणाम सामने आते हैं, जोकि माता एवं शिशु की मृत्यु के कारण बनते हैं। कम उम्र में माता-पिता बनना लड़के और लड़कियों को शारिरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से प्रभावित करता है। यह व्यक्तिगत विकास में बाधक साबित होता है, कम उम्र में शादी और गर्भधारण किशोरी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि उस समय उसके स्वयं का विकास हो रहा होता है, 20 वर्ष से पूर्व गर्भधारण से बचना ही बेहतर उपाय है।


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