किशनगंज। कोरोना को लेकर जहां एक तरफ हर कोई एक दूसरे को मास्क पहनने की हिदायत देते हैं। हर ओर कोरोना से बचाव की चर्चा हो रही है। वहीं कोरोना की धीमी रफ्तार के बाद लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा जिन अस्पतालों को है, अब वहीं पर कर्मी, मरीज और मरीजों के परिजन मास्क नहीं पहनते हैं। हालांकि निजी अस्पतालों में सुरक्षा में तैनात कर्मी बिना मास्क के किसी को अंदर जाने नही देते, साथ ही डाक्टर भी बिना मास्क पहने मरीजों की जांच नहीं करते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में नियम का उल्लंघन स्वास्थ्य कर्मी ही करते हैं।
शारीरिक दूरी तो दूर अस्पताल कर्मी मास्क तक नहीं पहनते है। सरकारी अस्पताल में बहुत कम कर्मी ही मास्क पहने नजर आते हैं, वो भी मास्क को कान में फंसा दाढ़ी में पहने दिखते हैं। सुरक्षा में तैनात गार्ड सिर्फ आला अधिकारियों के आने-जाने की रास्ते को साफ रखने में अपना ध्यान रखते हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा दावा किया जा रहा है कोरोना के संभावित तीसरी लहर की तैयारी पूरी कर ली गयी है। लेकिन यह सच्चाई इसके उलट नजर आती है। अस्पताल परिसर में लोग आपस में सटकर बैठ गप्पे मारते नजर आते है। सुबह ओपीडी के लाइन में अधिकांश बिना मास्क के ही रहते हैं। यहां तक कि दवा वितरण काउंटर पर कर्मी मास्क का उपयोग नहीं करते और खुले हाथों से दवा का लेन-देन करते हैं। वहीं दूसरी तरफ ड्यूटी में तैनात कर्मी भी अस्पताल में लोगों को बिना मास्क पहने देख आगे निकल जाते है। शहर में बीचों बीच सदर अस्पताल में कोरोना नियमों की इस तरह अवहेलना की जा रही है तो आप स्वत: अंदाजा लगा सकते है कि प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोना प्रोटोकाल का कितना पालन किया जा रहा होगा।