कांग्रेस में जारी शह और मात के खेल पर हुई चर्चा, 2022 में किसकी होगी जीत किसकी हार

अब फिक्र कांग्रेस में जारी शह और मात के खेल की. इस खेल में एक तरफ कांग्रेस का प्रथम परिवार यानी गांधी परिवार है जो दूसरी तरफ इस परिवार के वो करीबी हैं जो अब बागी हो गए हैं. दिल्ली में कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने अपने जन्मदिन पर डिनर पार्टी दी. इस डिनर पार्टी के मेन्यू में दो ही बातें प्रमुख थी. एक विपक्षी एकता और दूसरा गांधी परिवार का विरोध. इस डिनर पार्टी में वो दिग्गज विपक्षी नेता पहुंचे जो राहुल के पॉलिटिकल ब्रेकफास्ट में नहीं गए थे. साथ ही इसमें वो नाराज कांग्रेस नेता भी थे जिन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाए थे.

अरसे बाद इस घर के बाद जब विपक्ष के दिग्गज चेहरे जुटे तो राजनीति पर नजर रखनेवालों को 90 के दशक के दिनों की याद आ गई. उन दिनों की याद आ गई जब इस बंगले में देश की राजनीति की दिशा तय होती थी. अरसे बात राजनीति के बड़े नाम इस बंगले पर जुटे मौका था कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के जन्मदिन का 15 से ज्यादा पार्टियों के 45 से ज्यादा नेता कपिल सिब्बल के जन्मदिन के बहाने जुटे तो चर्चा खाने के मेज पर देश की राजनीति और कांग्रेस की दशा पर हुई.
कपिल सिब्बल के घर हुई बैठक क्यों और कैसे अहम थी इसको जानने के लिए 3 अगस्त को राहुल गांधी की बैठक का जिक्र जरूरी है. 3 अगस्त को राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं को नाश्ते पर बुलाया था. उस पॉलिटिकल ब्रेकफास्ट में कई नेता पहुंचे थे. लेकिन सिब्बल की पार्टी में जो नेता पहुंचे उनका कद और राजनीतिक हैसियत कहीं बड़ा है.
सिब्बल की पार्टी में पहुंचे
शरद पवार और अखिलेश यादव भी पहुंचे थे. लालू प्रसाद यादव भी कपिल सिब्बल के घर पहुंचे. बीजू जनता दल, TDP के नेता भी कपिल सिब्बल की दावत में पहुंचे थे. वहीं जगन मोहन की YSRCP और शिरोमणी अकाली दल के नेता भी सिब्बल के घर पहुंचे. कपिल सिब्बल के घर पहुंचे नेताओं का कद राहुल की बैठक में पहुंचे नेताओं से ऊंचा था. अब सवाल ये कि आखिर इस जन्मदिन की दावत का राजनीतिक संदेश क्या है. ये सवाल तब और बड़ा हो जाता है जब कपिल सिब्बल के G-23 कनेक्शन को जोड़ा जाता है. सिब्बल उन 23 बड़े कांग्रेसी नेताओं में शुमार थे जिन्होंने गांधी परिवार से असंतोष जताया था. सिब्बल की पार्टी में कांग्रेस के वो सभी 23 नेता मौजूद थे.
ऐसे में सवाल ये की क्या सिब्बल और कांग्रेस के असंतुष्ट इस पार्टी के जरिए गांधी परिवार को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. या ये बताना चाहते हैं कि अब वक्त आ गया है जब कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार से बाहर किसी और के हाथ में होना चाहिए.
ऐसी चर्चा की वजह ये भी है क्योंकि सिब्बत की दावत में पहुंचे अकाली नेता नरेश गुजराल ने कहा कि कांग्रेस को अब गांधी परिवार से मुक्त होना चाहिए.वही बीजू जनता दल के नेता पिनाकी मिश्रा ने दो टूक शब्दों में कहा की कांग्रेस अब ओडिशा कोई ताकत नहीं रह गई. यानी कांग्रेस के दिग्गज की दावत में वो सब कुछ हुआ जो गांधी परिवार को पंसद नहीं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इस दावत के जरिए एक बार फिर कांग्रेस के नाराज नेताओं ने गांधी परिवार को अपनी ताकत दिखाई है. क्या कांग्रेस के नाराज नेता गांधी परिवार से बाहर कोई विकल्प तलाश रहे हैं और क्या दावत के जरिए कपिल सिब्बल ने राहुल गांधी से बड़ी लकीर खींच दी है और बता दिया है कि कांग्रेस गांधी सरनेम के बैगर भी चल सकती है
आपको बताते हैं कि आखिर कैसे कपिल सिब्बल ने राहुल गांधी के लिए बड़ी लकीर खींच दी है और कैसे सिब्बल का डिनर राहुल गांधी के लिए चुनौती बन गया है. गांधी परिवार से नाराज G-23 के सभी दिग्गज नेता कपिल सिब्बल के डिनर में मौजूद रहेडिनर में शामिल कई नेताओं ने सीधे तौर पर कांग्रेस को गांधी परिवार से मुक्त करने की बात कही. डिनर में शामिल कई नेताओं ने कांग्रेस को कमजोर बताया. दूसरे शब्दों में कहें तो विपक्षी नेताओं ने राहुल गांधी को पार्टी का कमजोर नेता बताया.
जाहिर है कपिल सिब्बल के डिनर में वो सब कुछ हुआ जो राहुल गांधी और गांधी परिवार को नाराज और परेशान करनेवाला है.इसलिए इस डिनर को राहुल गांधी का कद छोटा करने की कवायद कहा जा रहा है. आपको याद दिला दें कि हरकिशन सिंह सुरजीत ने क्षेत्रिय दलों को एकजुट कर कांग्रेस को सत्ता की दौड़ से बाहर कर उसे सहायक की भूमिका में आने को मजबूर किया. सिब्बल की दावत से निकले संदेश भी कुछ ऐसे ही हैं दावत में शामिल नेताओं के बीच विपक्षी एकजुटता का प्लान किया.
2024 से पहले 2022 यानी यूपी चुनाव में BJP को रोकने पर जोर रहा. विपक्षी नेताओं ने एक सुर में अखिलेश यादव का समर्थन किया. विपक्षी नेताओं में सहमति बनी की यूपी में सभी दल अखिलेश का समर्थन करें. कपिल सिब्बल के घर विपक्षी नेताओं की ये सहमति गांधी परिवार के लिए सिरदर्द बना सकता है. क्योंकि गांधी परिवार यूपी में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को मजबूत करना चाहता है. विपक्षी एकजुटता कांग्रेस परेशान. गांधी परिवार विधानसभा चुनाव में यूपी में प्रियंका गांधी को लॉन्च करना चाहता है. गांधी परिवार का प्लान अगले लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को मजबूत करने का है
ऐसे में अगर सभी विपक्षी दल एकजुट होकर अखिलेश के साथ गए तो ये गांधी परिवार के लिए बड़ा खतरा होगा.क्योंकि इस विपक्षी एकजुटता से प्रियंका का यूपी प्लान फेल हो जाएगा और अगर 2022 में एकजुट विपक्ष जीता तो अखिलेश मजबूत होंगे और विपक्षी खेमे में राहुल गांधी की ताकत कमजोर होगी.
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