सिकटी के समीप भारत-नेपाल सीमा से पैदल लोगों की आवाजाही शुरू

संसू सिकटी(अररिया): भारत-नेपाल की सीमा कोरोना संक्रमण के सील है। भारतीय क्षेत्र से सीमा खुली है, लेकिन नेपाल ने भी पैदल आने-जानेवाले लोगों के लिए सीमा खोल दिया गया है। नेपाल सीमा पार के नेपाली नागरिकों की मानें तो स्थानीय अधिकारियों की पहल पर सीमा से पैदल आने-जाने की अनुमति दी गई है। जिले के कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड क्षेत्र की बात करें तो सोनामनी गोदाम क्षेत्र से आमबारी तक लगभग 38 किलोमीटर खुली सीमा है, लेकिन कभी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। कुर्साकांटा, सोनामनी, सुंदरी, कुआड़ी, सिकटी, ऊफरैल, बरदाहा व मजरख सहित तमाम क्षेत्र के सैकड़ों लोग नेपाल में कारोबार,खेती व मजदूरी करते हैं। कोरोना संक्रमण काल में पिछले वर्ष मार्च माह में दोनों देशों की सीमाएं सील कर दी गई थी। आवागमन ठप हो गया था। छह माह पूर्व भारतीय क्षेत्र की सीमा तो खुली रही लेकिन नेपाल की सीमा बंद थी। करीब छह माह बाद सीमा पर पैदल आने-जाने की छूट मिली है।

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---प्रारंभिक जांच के बाद सीमा पार करने की मिलती है छूट---नेपाली अधिकारियों के अनुसार प्रारंभिक जांच के बाद भारत-नेपाल के लोगों को सीमा पैदल पार करने की अनुमति दी गई है। नेपाल सीमा पर तस्करों व अराजक तत्वों पर जवान नजर रख रहे है। एसएसबी 52वीं बटालियन के कमांडेंट वीके वर्मा ने बताया कि विभागीय निर्देश के अनुसार सीमा की निगरानी की जा रही है। नेपाल से आने वाले बीमार व जरूरतमंद लोगों को भारतीय सीमा में आने की छूट जांचोंपरांत दी जाती है।
----लंबे समय तक रहा नेपाल बॉर्डर बंद--इतने लंबे समय तक नेपाल बॉर्डर इसके पहले कभी बंद नहीं हुआ था। बॉर्डर बंदी के कारण दोनों देशों के सीमावर्ती कस्बे और गांवों के लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। भारत-नेपाल सीमा की स्थिति किसी भी दो देशों के बॉर्डर से एकदम जुदा है। दोनों देशों के बीच बॉर्डर के नाम पर दस गज की एक पट्टी होती है,जिसे नो मैंस लैंड कहा जाता है।
दोनों देशों की सरहद पर न कोई कंटीले बाड़ हैं न सैनिकों की भारी तैनाती। रोटी-बेटी का संबंध तथा खुली सीमा होने के कारण नेपाल के लोग भारतीय सीमा में और भारतीय लोग नेपाली सीमा में आते-जाते रहे हैं। भारत-नेपाल को जोड़ने वाली सड़कों के अलावा सीमा पार कर आने-जाने के लिए लोग पगडंडिया और कच्चे रास्तों का भी इस्तेमाल करते हैं।

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