लिफ्ट इरिगेशन खेतों से हुआ 'लेफ्ट'

जमुई। व्यवस्था का दंश और किसानों की इच्छा शक्ति की कमी के कारण सिमुलतला के लीलावरन गांव में लिफ्ट इरिगेशन (उद्वहन सिचाई) व्यवस्था चौपट हो गई है। इस के तहत जोर, नदी व तालाब से पानी को लिफ्ट (उद्वहन) कर एक जगह संचय किया जाता था। पाइप और नाला बनाकर संचित पानी को खेतों तक पहुंचाया जाता था। इस व्यवस्था से हर खेत तक आसानी से पानी पहुंच जाता था। पानी उपलब्ध होने के कारण किसान मौसमी खेती के लिए आत्मनिर्भर थे। इसकी देखरेख के लिए किसानों की एक कमेटी होती थी। जिस किसान को पानी की जरूरत होती थी वो पंप मोटर में डीजल भरकर पानी लिफ्ट कर लेता था। बाद में आधुनिकता की हवा में व्यवस्था ध्वस्त होती चली गई। देखरेख के अभाव और गांव में आपसी खींचातानी में इस व्यवस्था की मटिया पलित हो गई।


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1969 में हुआ था उद्वहन का निर्माण ग्राम भारती सर्वोदय आश्रम के संस्थापक स्व. शिवानंद भाई के प्रयास से 1969-70 में बना था। तत्कालीन उद्वहन कमेटी के सभापति सीताराम यादव ने बताया कि किसानों को खेती के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इसका निर्माण किया गया था। पहाड़ी क्षेत्र के कारण यहां उंचे-नीचे खेत हैं। गांव के लगभग डेढ़ सौ किसानों ने इस व्यवस्था का खूब लाभ उठाया। मौसमी खेती के साथ अन्य फसल की पैदावार में वृद्धि हुई। किसान खेती में सिचाई को लेकर आत्मनिर्भर हो गए। गांव के रमतुकवा जोर से दस एचपी पावर के इंजन से पानी का उद्वहन कर खेत तक पाइप और केनाल के माध्यम से पहुंचाया जाता था। जिस किसान को खेत में पानी की आवश्यकता होती थी, वह मोटर में डीजल भरकर खुद पानी पटवन के लिए ले जाता था। इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया था। किसान बारी-बारी से अपने खेतों तक पानी ले जाते थे। 1992 तक किसानों को इसका लाभ मिला। मोटर में बराबर खराबी आने के बाद कभी किसान तो कभी ग्राम भारती मरम्मत कर काम कर रहे थे। किसानों ने बताया कि उद्वहन के लिए बीस एचपी मोटर की आवश्यकता थी जो नहीं लगी। बाद में खराब मोटर को किसी ने ठीक नहीं कराया। परिणाम स्वरूप देखते-देखते लिफ्ट इरिगेशन खेतों से 'लेफ्ट' हो गया। बाबू चंद यादव, मुन्ना यादव, किस्टो यादव, सुबोध यादव, दशरथ यादव, जयप्रकाश यादव, हेमलाल यादव, गुलाटी यादव, गणेश यादव ने बताया कि अगर पाइप, केनाल और मोटर को दुरुस्त कर दिया जाए तो पुन: गांव के किसान सिचाई के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएंगे।

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