निर्देश का पालन करने में प्रधानाध्यपकों को हो रही परेशानी

मधेपुरा। प्रारंभिक विद्यालयों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए बीते 16 अगस्त से खोल दिया गया है। कोरोना गाइडलाइन के बीच खुले विद्यालय जहां राशि के आभाव में विभाग के बजाय प्रधानाध्यापकों के भरोसे संचालित हो रहा है। वहीं अधिकांश विद्यालयों में कोरोना गाइडलाइन का जरा भी पालन नहीं किया जा रहा है। जबकि विद्यालय खुलने के बाद कमोवेश बच्चों की उपस्थिति भी विद्यालय में होने लगी है। मालूम हो कि विद्यालय संचालित करने को लेकर दिए गए सरकारी निर्देश को पूरा करने में प्रधानाध्यापक को राशि के आभाव में काफी मशक्कत करनी पड़ रहा है। उन्हें विद्यालय की साफ-सफाई से लेकर सैनिटाइज, साबुन, मास्क, चाक-डस्टर आदि सहित अन्य सामग्री का जुगाड़ फिलहाल अपनी जेब से करनी पड़ रही है। प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों प्रधानाध्यापकों ने बताया कि बीते जून माह में ही राज्य शिक्षा निदेशक ने पत्र जारी कर प्रत्येक विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना के खाता को छोड़ अन्य सभी खाते को जीरो बैलेंस कर उसे बंद करने का निर्देश दिया गया था। उक्त निर्देशालोक में प्रधानाध्यापकों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कर विद्यालय के विभिन्न खातों के अवशेष समग्र विकास की राशि विभाग को वापस कर दी है। स्थिति यह है कि वर्तमान समय में प्रधानाध्यापक के पास विद्यालय संचालन के लिए न तो कोई राशि उपलब्ध है और न ही विद्यालय में कोई खाता ही संचालित है। ऐसे में सवाल उठता है कि राशि के आभाव में विद्यालय में कोरोना गाइडलाइन का शत-प्रतिशत पालन कर उसका संचालन कैसे किया जाए। जबकि विद्यालय खुलने के पूर्व ही विद्यालयों की साफ-सफाई के साथ वर्ग कक्ष व परिसर का सैनिटाइज कराने का निर्देश विभागीय स्तर से प्रधानाध्यापकों को दी गई है। साथ ही विद्यालय पहुंचने वाले बच्चों के लिए हेंड सैनिटाइजर, हाथ धुलाई के लिए साबुन व मास्क की व्यवस्था भी अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में प्रधानाध्यापकों को कोरोना गाइडलाइन के बीच विद्यालय का संचालन करना काफी महंगा पड़ रहा है। क्योंकि चाक-डस्टर, सैनिटाइजर, साबुन व मास्क से लेकर झाड़ू तक के पैसे विद्यालय के पास नहीं हैं।


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