विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों के घर जाएंगे गुरुजी

मधेपुरा। कोरोना के कारण लंबे समय से बंद पड़े विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बच्चों की नियमित उपस्थिति के लिए शिक्षा विभाग एक बार फिर नया प्रयोग करने जा रहा है। अब एक सप्ताह तक विद्यालय से अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का हाल जानने के लिए शिक्षकों को बच्चों के घर भेजने का फैसला किया गया है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर डीईओ और डीपीओ को आदेश दे दिया है। दरअसल,कोरोना की वजह से लंबे समय से ठप रहे पठन पाठन की वजह से बच्चों के सिलेबस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है,ऐसे में बच्चों की उपस्थिति हर हाल में 75 फीसदी तक करने के लिए अब शिक्षकों को इसका जिम्मा दिया गया है। अब सरकारी स्कूलों में वैसे बच्चे जो लगातार स्कूल से सात दिन से गायब हैं,उनके घर अब शिक्षकों को जाना होगा। विद्यालय में बच्चों की नियमित उपस्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने सबकी जिम्मेवारी तय कर दी है। 75 फीसदी उपस्थिति का लक्ष्य हासिल करने के लिए विद्यालय प्रधान के साथ ही विद्यालय के सभी शिक्षक और संकुल संसाधन केंद्र समन्वयक को जिम्मेदार बनाकर उन्हें और जिम्मेदारी दी गई है। कोई छात्र एक सप्ताह तक लगातार स्कूल में अनुपस्थित रहता है तो प्रधानाध्यापक या शिक्षक उसके अभिभावक से संपर्क कर विद्यालय नहीं आने का कारण जानने तथा ऐसे छात्रों के लिए अलग से रजिस्टर बनाने का भी आदेश दिया गया है। इसके लिए विद्यालय के शिक्षकों को निर्धारित समय पर विद्यालय खोलने और विद्यालय में नियुक्त शिक्षक समय पर हर हाल में विद्यालय आएं और विद्यालय अवधि समाप्त होने के बाद ही विद्यालय से प्रस्थान करने का निर्देश दिया गया है। प्रधानाध्यापक को बच्चों के समूह को विद्यालय लाने के लिए शिक्षकों के बीच जिम्मेदारी का निर्धारण करने तथा विद्यालय की साफ-सफाई की हिदायत दी गई है। इसके साथ ही विद्यालय अवधि में मोबाइल के प्रयोग को वर्जित किया गया है। शिक्षक क्लास लेने के दौरान मोबाइल का उपयोग नहीं करेंगे। मालूम हो कि कोरोना संक्रमण में कमी आने पर राज्य सरकार ने क्लास एक से लेकर 12वीं तक के सभी विद्यालय को खोलने का आदेश दे दिया है तथा अब स्कूलों में शत प्रतिशत बच्चों को आने की भी अनुमति दे दी है। इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कुमार गुणानंद सिंह ने बताया कि विद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर विद्यालयों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। विद्यालय की स्थिति में व्यापक सुधार देखा जा रहा है।

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