पोक्सो एक्ट के मामले में स्पेशल कोर्ट ने सूचिका पर केस दर्ज करने का एसपी को लिखा पत्र

अररिया। समाज के कतिपय मठाधिशों की दबंगता कहिए या खाकी का रौब, एक सोची-समझी साजिश के तहत अपने ही घर की बच्ची व महिलाओं द्वारा दुष्कर्म व छेड़छाड़ जैसी घृणित आरोपों को हथियार बनाये जा रहा है तथा अपने गलत मंसूबे से इस संगीन हथियार के माध्यम लोगों को झूठे केस में फंसा कर कानून का दुरुपयोग जारी है। जिसका जिता-जागता उदाहरण अररिया के पोक्सो एक्ट के स्पेशल कोर्ट द्वारा बाइज्जत आरोप से बरी किये गये तनवीर उर्फ पिटू जैसे कई लोग सामने आ रहे हैं। इस तरह के मामले में सरकारी तंत्र भी कम जिम्मेदार नही है। लेकिन ऐसी हरकत से साजिशकर्ता को ये झूठे आरोप भारी पर सकता है।


इस बात को अररिया के पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय की अदालत ने हाल ही में एक बार फिर अपने अहम फैसला सुनाया है तथा पोक्सो एक्ट के तहत आरोपित बने तदबीर उर्फ पिटू को बाइज्जत रिहा कर दिया तथा इसी मामले में सूचिका पर प्राथमिकी दर्ज करने का अररिया के पुलिस अधीक्षक को निर्देश भी जारी किया है।
ताजा मामला पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज श्री राम की अदालत ने स्पेशल केस नंबर-25/19 में सुनाया है। यह घटना एक मई, 19 की है। नरपतगंज थाना क्षेत्र की एक विधवा ने 20 वर्षीय एक युवक पर आरोप लगाई कि उसकी 14 वर्षीय बेटी को दिन के उजाले में तनवीर उर्फ पिटू नामक युवक ने अपने कब्जे में ले लिया और उसे बेइज्जत कर उसके आबरु भंग करने की कोशिश किया गया। इस मामले नरपतगंज बथनाहा कांड संख्या-274/19 दर्ज हुआ। तत्पश्चात नरपतगंज स्थित चकोडवा निवासी तनवीर उर्फ पिटू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जो एक लंबे वक्त तक जेल के सलाखों में बंद रहा, जो एक लंबे वक्त के बाद बेल पर जेल से बाहर आया।
इतना ही नहीं, इस बीच मामले के जांचकर्ता बने पुलिस अधिकारी ने घटना स्थल का निरीक्षण, सूचिका व गवाहों का बयान के साथ पीड़िता द्वारा कोर्ट में दप्रस की धारा-164 के अंतर्गत दिये गये बयान सहित महिला पुलिस के समक्ष अंकित बयान का अवलोकन किया। इसके अलावा पुलिस अधिकारी का पर्यवेक्षण टिप्पणी के साथ-साथ घटना की जांच को आधार माना गया तथा आरोपित बने तनवीर उर्फ पिटू के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया।
मामले में अब आया ट्वीस्ट :
इस मामले में भले ही आरोपित कई महिनों जेल में रहने के बाद उसे कोर्ट ने बेल दे दिया। परंतु यह मामला कोर्ट में करीब ढाई साल लंबित रहा और इसी क्रम में इस मामले में उस वक्त एक नया मोड आया, जब पीड़ित नाबालिग लड़की ने इस मामले में कोर्ट को सिर्फ मकई का पत्ते तोड़ने को लेकर आरोपित से हुए झगड़े की बात को लेकर हुए विवाद होने की बात कही। इससे पूर्व मामले के जांचकर्ता ने आरोपित के खिलाफ पोक्सो एक्ट का उल्लेख करते केस दर्ज किया। इतना ही नहीं बल्कि आरोप पत्र में भी पोक्सो एक्ट की धाराये का उल्लेख किया।
इस मामले में फिर नया मोड़ उस वक्त आ चला जब सूचिका व पीड़िता सहित तीन लोगों का गवाही के बाद कोर्ट में हुए जिरह में सभी मुख्य घटना से मुकर गए। आरोपित पर लगाये गए आरोप से इंकार कर दिया। तत्पश्चात अदालत ने इस मामले में अपने आदेश में इसे ''टू सेट्ल द अनसेट्ल, नाट टू अनसेट्ल द सेट्ल'' जैसे कानून के सिद्धांत का हवाला देते अभियोजन की गवाही बंद कर दिया।
तत्पश्चात स्पेशल कोर्ट ने 25 अगस्त,21को साक्ष्य के अभाव में मामले के आरोपित बने पिटू को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसकी रिहाई का फैसला सुनाया। साथ ही अदालत ने सूचिका द्वारा झूठी गवाही देने के कारण सूचिका के खिलाफ तय प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई का आदेश पारित करते शख्त रूख अपनाया तथा संबधित थाना में प्राथमिकी दर्ज का निर्देश अररिया एसपी को दिया है, ताकि पोक्सो नियम का उलंघन करने वाले के पास कडा़ संदेश जाय।
हालांकि स्पेशल कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले के जांचकर्ता पर सवाल उठना लाजमी है। परंतु खाकी के रौब से पहले यह भी सवाल सामने आ रहा है कि जब मकई के पत्ते तोड़ने को लेकर विवाद हुआ तो आखिर सूचिका द्वारा अपनी ही बेटी की आबरू को आखिर क्यों दाव पर रखा गया।
उधर, अररिया पोक्सो एक्ट के स्पेशल कोर्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय द्वारा अब तक इस तरह के कई फैसले देकर कानून का दुरुपयोग करने वाली परिपाटी पर लगाम लगाने की कोशिश जारी है। परंतु इसी क्रम में कोर्ट परिसर में यह भी चर्चा जारी है की क्या झूठे आरोप से आरोपित बने लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा को आघात नहीं लगता है। एक लंबे वक्त बेवजह जेल के सलाखों के पीछे बंद निर्दोष व्यक्तियों को बाद में रिहाई तो हो जाती है। परंतु इस तरह के मामले कोर्ट में आने से पहले जांच के क्रम में जमीनी वास्तविकता पर यदि संजीदगी दिखाई जाती तो क्या कोई निर्दोष को इस काले धब्बे लगने से पहले उसे समाज में शान से जीने का अहसास होता।
पोक्सो एक्ट के लंबित एक अन्य मामले में सूचिका द्वारा कोर्ट में गलत साक्ष्य प्रस्तुत कर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश के कारण आरोपित बने फारबिसगंज थाना क्षेत्र के जुम्मन चौक निवासी मो मोकीम एवं अफजल अंसारी आदि कई आरोपित बाइज्जत बरी नहीं हो जाता।

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