सरकार की नीति से गन्ना किसानों पर फिर मंडरा रहा संकट

सीतामढ़ी। खेतों में गन्ना की फसल लगी है लेकिन इस सीजन में भी रीगा चीनी मिल चालू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। चीनी मिल प्रबंधन, सरकार और जनप्रतनिधि अपनी डफली और अपना राग अलाप रहे हैं। इससे किसानों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रखंड अध्यक्ष अनूठा लाल पंडित ने रीगा चीनी मिल प्रबंधन एवं बिहार सरकार के गन्ना विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर यह जानकारी मांगी है। कहा है कि रीगा चीनी मिल क्षेत्र में किसानों के खेतों में लगे करीब 20 लाख क्विटल गन्ना खरीददारी की जवाबदेही किसकी होगी? हजारों किसान परेशान हैं और उन्हें इस बात की गारंटी देने को कोई तैयार नहीं है कि इस सीजन मे चीनी मिल चालू हो सकेगा या नहीं । उन्होंने कहा कि अभी हाल में जिले के एनडीए के दोनों सांसदों के साथ समाहरणालय में हुई बैठक से जो बात सामने आई उससे किसानों में बेचैनी बढती जा बढ़ता जा रही है। सरकार के गन्ना विभाग के मंत्री द्वारा चीनी मिल को बेचकर बकाया का भुगतान करने का बार-बार बयान देने और सांसद द्वारा इन्वेस्टर खोजने की बात कहे जाने से स्थिति और गंभीर बन गई है। पंडित ने याद दिलाया है कि पिछले सीजन में काफी देर से कहा गया कि मिल चालू नहीं होगा। तब सरकार ने गोपालगंज, सिधवलिया और मझौलिया चीनी मिल को गन्ना खरीददारी की जिम्मेवारी सौंपी। मजबूरी में किसान 125 से 150 रुपये प्रति क्विटल की कीमत पर गन्ना को बेचने को मजबूर हो गए। इस दौरान सरकारी तंत्र तमाशबीन बना रहा। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया है कि समय रहते सचेत होने की जरूरत है ताकि खेतों में लगे गन्ने की ढंग से कहीं खरीददारी हो जाए। उसकी अभी से व्यवस्था में लग जाने की जरूरत है,ताकि पिछले साल की तरह औने पौने भाव में गन्ना नहीं बेचना पड़े।



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