सावधान! बुजुर्गों के साथ युवाओं में तेजी से बढ़ रही दिल की बीमारी

बेतिया। जिले में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है। बुजुर्गों के साथ युवा और बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार पिछले साल सर्वे के दौरान करीब 2249 हृदय रोगियों की पहचान की गई। जिसमें बगहा एक में 212, बगहा दो 14, बैरिया 103 बेतिया 34, भितहा 37,चनपटिया 79, गौनाहा 304, लौरिया 12, मधुबनी 8, मझौलिया 318, नरकटियागंज 165, नौतन 495, सिकटा 107, रामनगर 206, ठकराहां 29, योगापट्टी 125 चिन्हित किए गए। इस साल अप्रैल से लेकर अब तक करीब 16 बच्चे दिल की बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। इनमें से 11 बच्चों को विभाग द्वारा पटना भेजकर जांच कराया गया। जबकि 5 बच्चों को सूचीबद्ध किया गया है। बच्चों को इलाज के लिए सरकार द्वारा बाल हृदय योजना संचालित की गई है। इस योजना के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को विभाग पटना भेज कर जांच कराती है। उसके बाद अहमदाबाद भेज कर चिन्हित बच्चों का इलाज कराया जाता है। 18 वर्ष से अधिक हृदय रोगियों की गैर संचारी रोग के तहत जांच कराई जाती है। चिन्हित रोगियों को पीएमसीएच एवं आईजीआईएमएस पटना रेफर कर उनका इलाज कराया जाता है। हृदय रोग से संबंधित विशेषज्ञ नहीं होने की वजह से इसके मरीजों को बाहर याद कराने की विवशता बनी रहती है।


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हृदय रोग से बचने के लिए लाइफ स्टाइल में करें बदलाव
शहर के प्रसिद्ध फिजीशियन डॉक्टर अंजनी कुमार ने कहा कि हार्टअटैक से सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट व पसीना आता है। लेकिन इस अटैक से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में परिवर्तन कर खतरे को कम किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से लाइफस्टाइल में बदलाव करते हुए नियमित व्यायाम करने की बात कही। खान-पान में हरी सब्जियों व ताजे फल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। फास्ट फूड से परहेज करने की सलाह दी। तेल, चीनी का कम सेवन करें। वीपी और शुगर को कंट्रोल में रखें।
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इनसेट
प्रदूषित वातावरण भी हृदय रोग के लिए जिम्मेवार
डॉक्टर अंजनी कुमार ने कहा कि हृदयरोग बढ़ने के कई कारण हैं। जिनमें प्रदूषित वातावरण काफी हद तक जिम्मेदार है। घर और बाहर के वातावरण को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए हरियाली जरूरी है। मोटे लोगों में हृदयरोग होने की आशंका ज्यादा रहती है। आज हर उम्र में हृदयरोग हो रहा है। पहले 40-45 साल की उम्र में गिने-चुने लोगों को हार्टअटैक आता था, लेकिन आज यह किसी भी उम्र में आ जाता है, जो चिता का विषय है।व्यायाम, योगा अवश्य करना चाहिए। सुबह-शाम घूमने की आदत डालें, खाने में हरी सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा करें।

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