जज कॉलोनी में शिव मंदिर निर्माण की शर्त पर निलंबित नाजिर को मिली जमानत

मधुबनी । झंझारपुर प्रखंड प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुके प्रखंड नजारत से अभिलेख पंजी के चोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए निलंबित नाजिर मायानंद झा को एडीजे अविनाश कुमार प्रथम की अदालत से जमानत मिल गई है। प्रखंड के निलंबित नाजिर मायानंद झा छह अगस्त से न्यायिक हिरासत में थे। एडीजे अविनाश कुमार प्रथम ने उन्हें 10-10 हजार के दो मुचलकों के साथ ही जज कॉलोनी में शिव मंदिर का निर्माण करने के साथ ही शिवलिग स्थापना की शर्त पर जमानत दी। शर्त के अनुसार उन्हें 60 दिनों के अंदर कोर्ट कॉलोनी परिसर में स्थित महावीर मंदिर के बगल में शिव मंदिर की स्थापना करनी है। बता दें कि विभिन्न प्रकार के शर्तों के साथ जमानत देने के मामले में चर्चित होने वाले एडीजे अविनाश कुमार प्रथम का यह आदेश उनके न्यायिक शक्ति पर हाईकोर्ट की रोक लगने से पूर्व अंतिम आदेश रहा। 24 सितंबर को दिए गए आदेश में यह स्पष्ट है कि उन्हें सामाजिक दायित्व के तहत शिव मंदिर में शिवलिग की स्थापना करनी है। जमानत पर रिहा होने वाले मायानंद झा ने बताया कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि उन्हें शिव का मंदिर बनाने का आदेश न्यायालय से मिला है। इसे वे सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं। गौरतलब है कि जमानत की सुनवाई के दौरान मायानंद झा की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता पुरुषोत्तम मिश्रा ने कोर्ट को कहा कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं। इन पर गबन का कोई सीधा मामला नहीं बना है। वे जवाबदेह व्यक्ति है। समाज में कुछ सामाजिक कार्य करने के इच्छुक है। अधिवक्ता के इस अनुरोध पर एडीजे कोर्ट ने जज कॉलोनी परिसर में ही शिवलिग स्थापित कर मंदिर बनाने का निर्देश दे दिया। बता दें कि झंझारपुर थाना में कांड संख्या 189/2020 दर्ज किया गया था। इसमें प्रखंड नजारत से विभिन्न प्रकार के 32 रोकड़ पंजी गायब होने का आरोप है। इस मामले का सूचक भी मायानंद झा ही थे। जिसमें उन्होंने पूर्व नाजीर कुमार सौरभ, प्रधान लिपिक नईमुद्दीन को नामजद किया था। विभिन्न प्रकार के प्रशासनिक एवं पुलिस जांच में यह बात सामने आई की कैश बुक के कस्टोडियन वर्तमान नाजिर मायानंद झा ही थे और उन्हीं की लापरवाही से अथवा उनकी मिलीभगत से यह घटना घटी थी। एसपी के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज करने वाले नाजिर को ही इस कांड में पुलिस ने आईपीसी की धारा 409 एवं 420 के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। छह अगस्त को पुलिस ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था और 24 सितंबर को एडीजे प्रथम ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।


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