योगनगरी में धरातल पर नहीं दिख रही गंगा सफाई योजना

मुंगेर । गंगा सफाई को लेकर सरकार या गैर सरकारी संगठन भले ही अपनी पीठ थपथपा रहें हो, पर हकीकत यह है कि गंगा सफाई की बात आज भी योगनगरी में कारगर नहीं है। गंगा की स्वच्छता को लेकर सरकारी कार्य योजनाएं कुछ हद तक जमीन पर भी दिखाई दे रही है, लेकिन यह कितना कारगर यह यह आप गंगा घंटो पर जाकर देख सकते है। गंगा को प्रदूषित करने वालों के लिए कड़े कानून तो बनाए गए है, इसे अमल में लाया नहीं जा रहा है। नतीजन गंगा अभी भी मैली ही नजर आ रही है। यह देखना हो तो आप शहर के सबसे महत्वपूर्ण गंगा घाट कष्टहरणी, सोझी घाट और बबुआ घाट चले जाएं। घाटों पर फैले पूजा अवशिष्ट और गंदगी इस बात का प्रमाण है कि गंगा कितना स्वच्छ और निर्मल है। सरकारी योजना के तहत वहां शौचालय तो बनाए गए हैं, सही से रखरखाव नहीं होने के कारण इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। बाहर से गांगा स्नान को आने वाले लोगों के लिए गंगा घाटों पर यहां शौच करना मजबूरी है। गंगा स्नान के समय लोग खुलेआम वहां साबून, सैंपू व अन्य केमिकल युक्त सामग्रियों को प्रयुक्त करते हैं। यह बता दें कि इन सबका प्रयोग गंगा में वर्जित है।


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गंगा में प्रवाहित हो रहे शहर के नाले
पुरानी व्यव्स्था के तहत शहर के नाले का कनेक्शन गंगा नदी से किया गया था, इसे रोकने के लिए सिवरेज प्लांट योजना बनाई गई थी। अभी तक यह धरातल पर नहीं आ सकी। नतीजन आज भी शहर के नाले का प्रवाह गंगा नदी में ही हो रहा है। लल्लू पोखर के कंकर घाट बेलन बाजार,चुआबाग सहित सोझी घाट और बबुआ घाट में गंगा नदी से नाले का कनेक्शन आज भी देखा जा सकता है।
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एनजीटी कानून का नहीं हो रहा पालन
गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर बने कानून राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम -2010 (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का यहां कोई पालन नहीं हो रहा है। इस कानून के तहत गंगा को प्रदूषित करने वालों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है। इसका पालन नगर निगम की ओर से नहीं किया जा रहा
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हम भी नहीं है जागरूक
गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने हम आप यानि आम नागरिक भी जागरूक नहीं हैं। गंगा घाटों पर लगे एनजीटीडस्टबीन व शौचालय का प्रयोग हम सही तरीके से नहीं करते है। हम अपनी सुविधा के लिए पूजा अवषिष्टों का प्रवाह सीधे गंगा नदी में करते हैं । हमें भी गांगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूक होना चाहिए।

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