देश में पोषण सुरक्षा कानून बनाने की है जरूरत : डा. फारूक अली

मधेपुरा। सेहतमंद होने का अर्थ शरीर से मोटा-तगड़ा होना नहीं है। इसका आशय है कि व्यक्ति के शरीर, मन व आत्मा तीनों व्याधिरहित हो। उक्त बातें जेपी विवि, छपरा के कुलपति प्रो. डा फारूक अली ने कही।

वह रविवार को संतुलित आहार और सेहत विषय पर आयोजित सेहत संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे। यह आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में संचालित सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया था। उन्होंने कहा कि हम जो कुछ भी खाते-पीते हैं, वह भोजन है। लेकिन सभी भोजन आहार नहीं होता है। आहार वह भोजन है, जो हमारे जीवन के संरक्षण व संव‌र्द्धन के लिए आवश्यक है। आहार से ही हमें पोषण मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा कानून के जरिए सभी लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की योजना सराहनीय है। लेकिन हमें भोजन से आगे बढ़कर सबों को समुचित एवं संतुलित पोषण उपलब्ध कराने की जरूरत है। इसलिए देश में पोषण सुरक्षा कानून बनाने की जरूरत है। उन्होंने देश में पोषण- असंतुलन पर दुख प्रकट किया और स्पष्ट हिदायत दी कि हमें जीने के लिए खाना चाहिए, न कि खाने के लिए जीना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कुछ व्यक्ति अत्यधिक भोजन करके बीमार पड़ रहे हैं, जबकि बहुसंख्यक जनता को संतुलित आहार नसीब नहीं हो रहा है। अत: संतुलित पोषक तत्व चंद लोगों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि सबों के लिए उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि मनुष्य को गर्भ से लेकर कब्र में जाने तक हमें आहार की जरूरत होती है। विभिन्न अवस्थाओं में आहार की जरूरतें अलग-अलग होती हैं। अत: हम जो आहार लें, वह हमारी जरूरतों के अनुरूप हो। आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन्स, मिनरल्स आदि की सही मात्रा जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनसंपर्क पदाधिकारी डा. सुधांशु शेखर ने किया। संचालन शोधार्थी सारंग तनय व धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) डा. स्वर्ण मणि ने किया। इस अवसर पर प्रांगण रंगमंच की तनुजा कुमारी व आरती कुमारी ने सुमधुर संगीत की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। इस अवसर पर सीएम साइंस कालेज, मधेपुरा के डा. संजय कुमार परमार, केपी कालेज, मुरलीगंज के डा. अमरेंद्र कुमार, काउंसिल मेंबर द्वय माधव कुमार व बिट्टू कुमार उपस्थित थे।
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