वीटीआर के भालुओं को रास आता गन्ना, धान को चट कर जाती नीलगाय

बगहा। पांच महीने तक बाढ़ और दो महीने तक सूखे की मार झेलने वाले किसान प्रकृति की कुदृष्टि को खुद की किस्मत मान लेते हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र में बसे बगहा पुलिस जिले की भौगोलिक संरचना कुछ इस तरह की है कि पहाड़ों से उतरने वाली नदियां हर साल सैकड़ों एकड़ खेती योग्य जमीन को रेत के ढेर में बदल देती हैं। हालांकि जिले के किसानों की समस्या सिर्फ बाढ़ या सूखे तक ही सीमित नहीं है। दरअसल, किसानों की फसल को वन्यजीव भी व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचाते हैं।

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे इलाके में बसे तीन सौ से अधिक गांवों में किसान नीलगाय, हिरण, भालू, चीतल, खरगोश समेत अन्य वन्यजीवों का कहर झेलते हैं। हर साल औसतन 200 से अधिक किसान वन विभाग को आवेदन देकर फसल क्षति मुआवजे का दावा करते हैं। धान, गेहूं, सब्जी, गन्ना जैसी कई फसलें हैं, जिन्हें ये जानवर नुकसान पहुंचाते हैं। किसानों की माने तो भालू सर्वाधिक गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाता है। इस जानवर को मीठा बेहद पसंद है। जब गन्ने की फसल तैयार हो जाती है तो भालुओं का झूंड जंगल से निकलकर फसलों को काफी नुकसान पहुंचाता है। दूसरी ओर सुअर व नीलगाय धान तथा गेहूं की फसल को चट कर जाते हैं। हिरण, चीतल, नीलगाय, खरगोश आदि वन्यजीव सब्जी की फसल को काफी क्षति पहुंचाते हैं। परेशान किसान अपने सामने फसलों को नुकसान होता देखता रह जाता है। बाघिन के हमले में फसल रखवाली कर रहे दंपती की हो गई थी मौत :-

वन्य जीवों से फसलों की रखवाली करना मौत को दावत देने के बराबर है। कई बार वन्यजीव खलल डालने पर खूंखार हो जाते हैं। कई बार मांसाहारी वन्यजीव भी शिकार की तलाश करते करते खेतों तक पहुंच जाते हैं। इसी साल वीटीआर से निकली एक बाघिन ने गौनाहा प्रखंड के परसौनी गांव के समीप फसल की रखवाली कर रहे अकलू महतो व उनकी पत्नी रिखिया देवी पर बाघिन ने हमला कर दिया। इस हमले में दोनों की मौत हो गई। गोब‌र्द्धना वन क्षेत्र में गन्ने की रखवाली कर रहे एक युवक को भी बीते दिनों बाघ ने अपना शिकार बना लिया था। अभी चार दिन पूर्व गोब‌र्द्धना में एक भालू ने युवक पर हमला कर दिया था। इस तरह की घटनाओं के बाद या तो किसान खेतों की ओर जाना छोड़ देते या फिर फसलों की खेती। थरुहट के किसानों ने छोड़ दी बासमती धान की खेती :-
बासमती धान दोन क्षेत्र की पहचान है। इस धान की खुशबू वन्य जीवों को आकर्षित करती है। नुकसान को देखते हुए दोन क्षेत्र के किसानों ने बासमती धान की खेती करीब-करीब छोड़ दी है। फसलों के नुकसान को देखते हुए किसान अब औषधीय पौधे मेंथा की खेती कर रहे। गोब‌र्द्धना के रामानुज महतो और रमेश काजी कहते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं से फसल बचती तो जानवर चट कर जाते। ऐसे में मेंथा की खेती कर रहे। इसे जानवर नहीं खाते हैं। जिससे नुकसान कम होता। इसके साथ इसकी बिक्री के लिए भागदौड़ भी नहीं करनी पड़ती। जानवरों से छेड़छाड़ न करने की अपील :-
वन अधिकारी समय समय पर वनवर्ती गांवों में जागरूकता गोष्ठियों का आयोजन कर लोगों को वन्यजीवों से छेड़छाड़ न करने की अपील करते हैं। फसलों की सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि नीलगाय या सुअरों का झूंड खेतों का रुख करे तो पटाखे छोड़ उन्हें भगाया जा सकता है। छेड़छाड़ करने पर ये हिसक हो जाते हैं। बयान :-
वन्यजीवों से फसलों को नुकसान होता है। किसान पटाखे छोड़कर इनसे फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा व घट रही उर्वरता को देखते हुए आर्गेनिक खेती पर जोर दिया जा रहा।
शशांक नवल, कृषि पदाधिकारी, बगहा दो।

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