शारदीय नवरात्र को लेकर बाजारों में चहल-पहल

ममधेपुरा। असत्य पर सत्य की विजय, शक्ति, उपासना, समर्पण व सद्भावना का प्रतीक दुर्गा पूजा गुरुवार को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। नवरात्र को लेकर अभी से चारों ओर भक्ति की गंगा प्रवाहित होने लगी है। स्थानीय बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ने लगी है। मुख्यालय के रायब्रदर्स दुर्गा स्थान, काली स्थान पुरैनी, मकदमपुर, चंडी स्थान व मानस कामना मंदिर खेरहो पूर्वी दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना की सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। इस अवसर पर सभी दुर्गा मंदिर के पूजा कमेटी ने मंदिर परिसर की साफ-सफाई व रंग-रोगन कर उसे आकर्षक ढंग से सजाने का कार्य लगभग पूरी कर ली है। वहीं मूर्तिकार आस्था, शक्ति व उपासना के प्रतीक मां दुर्गा सहित विभिन्न देवी-देवताओं की भव्य व आकर्षक प्रतिमा को अंतिम रूप देने मे जी-जान से जुटे हैं। दो स्थानों पर होती है सिर्फ कलश स्थापना गुरुवार से प्रारंभ होने वाली शारदीय नवरात्र को लेकर आमजनो में खासा उत्साह है। मालूम हो कि काली स्थान पुरैनी व मानस कामना मंदिर खेरहो पूर्वी दुर्गा मंदिर में प्रतिमा का निर्माण नहीं कराया जाता है। यहां सिर्फ कलश स्थापना कर मैया के सभी नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना काफी श्रद्धापूर्वक व भक्तिभावना के साथ की जाती है। जबकि मुख्यालय के राय ब्रदर्स, मकदमपुर व चंडी स्थान स्थित दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा सहित विभिन्न देवी-देवताओं की भव्य व आकर्षक प्रतिमा का निर्माण कर पूजा-अर्चना की जाती है।


सात अक्टूबर गुरुवार को कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू होगी। मकदमपुर निवासी पंडित पवन झा ने बताया कि पंचांग के अनुसार सात अक्टूबर को कलश स्थापना व 15 अक्टूबर को विजयादशमी है। उन्होंने कहा कि इस बार एक तिथि की क्षय है। नौ अक्टूबर शनिवार के दिन एक साथ तीन व चार पूजा होगी। इस दिन एक साथ मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा व चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाएगी। 12 अक्टूबर को गज पूजा (विलवाभिमंत्रणम), 13 अक्टूबर को महाष्टमी व्रत के साथ ही महारात्रि निशा पूजा व 14 अक्टूबर को महानवमी व्रत है। जबकि 15 अक्टूबर शुक्रवार के दिन दसवीं तिथि का प्रवेश व श्रवणा नक्षत्र के रहने से विजयादशमी उसी दिन होगी। मां दुर्गा की आराधना व उपासना के लिए नवरात्र सर्वोत्तम समय माना जाता है। इसमें शारदीय नवरात्र का सर्वाधिक महत्व है।
डोली पर होगा मैया का आगमन व गज पर करेंगी प्रस्थान
गणेशपुर निवासी पंडित आचार्य दिनकर झा ने बताया कि सनातन धर्म में शक्ति के नौ रूपों की उपासना का विशेष महत्व है। वैसे तो माता की सवारी शेर की है। लेकिन नवरात्र में उनके आगमन एवं प्रस्थान के वाहन बदलते रहते हैं। इस बार माता का आगमन जहां डोली पर हो रहा है। जो शुभ संकेत नहीं है। वहीं माता का प्रस्थान गज वाहन (हाथी) पर होगा। जो काफी शुभ माना जा रहा है। इस बार नवरात्रा में माता की आराधना से भक्तों को शुभ फल प्राप्त होंगे।
पूजा समिति की अपील प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पूजा समितियों ने शारदीय नवरात्र के दौरान श्रद्धा, विश्वास, भक्ति भावना व सादगी के साथ पूजा-अर्चना करने की अपील की है। मंदिरों में बिना भीड़ लगाए पूजा समितियों के नियमों का शत-प्रतिशत पालन करने की बात कही है। पूजा समितियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनावी आदर्श आचार संहिता व कोरोना गाइडलाइन के बीच सरकार व प्रशासनिक दिशा-निर्देशालोक में पूजा सादगी व शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराई जाएगी। साथ ही नवरात्र के दौरान आदर्श आचार संहिता के नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा।

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