मनोकामना देवी के रूप में जानी जाती है महिनाथ नगर की मां दुर्गा



खगड़िया। काली कोसी और कठिनई नदी के किनारे स्थित महिनाथ नगर गांव में अवस्थित मां दुर्गा मनोकामना की देवी के रूप में जानी जाती है। यहां नवमीं की रात मां से मन्नतें मांगने वालों की पान कराने को लेकर भीड़ उमड़ पड़ती है। उस समय मां का रूप देखते बनता है। मंदिर का इतिहास
मंदिर 86 वर्ष पुराना है। कोसी कटाव होने पर 1935 ई में कलश स्थापित कर यहां पूजा-अर्चना शुरू की गई। मंदिर की स्थापना में मुंगेर के जमींदार सदाशिव प्रसाद सिंह की अहम भूमिका रही। जब जमींदार यहां यहां से जाने लगे तो उन्होंने मंदिर की व्यवस्था ग्रामीणों को सौंप दी। मंदिर की विशेषताएं

= मंदिर खगड़िया-सहरसा और मधेपुरा के सीमावर्ती क्षेत्र में अवस्थित है।
= शारदीय नवरात्र में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
= एनएच 107 के माली चौक से सात किलोमीटर पूरब- दक्षिण, जबकि प्रखंड मुख्यालय बेलदौर से पश्चिम- उत्तर की दिशा में सात किलोमीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है।
= पहले फूस के घर में मंदिर था और 2008 में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
= मंदिर दक्षिणमुखी है।
= शारदीय नवरात्र में दूर-दूर से साधक यहां आते हैं।
= नवरात्र के अवसर पर संध्याकाल में भव्य आरती की जाती है।
= शारदीय नवरात्र पर यहां नवमीं पूजन का खास महत्व है।
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प्रशासिनिक आदेश पर शारदीय नवरात्र में कोरोना गाइड लाइन का पूर्ण पालन किया जाएगा। श्रद्धालुओं के सेवार्थ स्वयंसेवक मौजूद हैं। श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल समेत अन्य व्यवस्था की गई है।
राजीव भगत, अध्यक्ष, महिनाथ नगर दुर्गा पूजा समिति
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सर्वप्रथम विष्णु भगवान के पान के बाद ही सार्वजनिक पान कराया जाता है। इसके बाद व्यक्तिगत पान होता है। मां वैसे ही भक्तों को पान देती है, जिनकी मुरादें पूर्ण होने वाली है।
पंडित सुशील झा, पुजारी

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