मुखिया की तरह वार्ड सदस्य और सरपंच का भी होगा दिलचस्प मुकाबला

संसू सिकटी, (अररिया):गांव की सरकार बनाने में मुखिया की तरह वार्ड सदस्य और सरपंच पद के लिए भी दिलचस्प मुकाबला होने के आसार दिख रहे हैं। इस बार मुखिया के मिले अधिकारों के बीच सरपंच के अधिकारों में भी इजाफा इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। इससे पूर्व के पंचायत चुनाव में मुखिया का ही पद सबसे अहम माना जाता था। इसकी वजह थी कि पंचायत में मुखिया का रुतबा और उनको सरकार द्वारा अधिकार भी दिए गए थे जिसके कारण मुखिया पद के लिए सबसे ज्यादा मारामारी होती थी। इस बार पंचायती राज में बदलाव और सरपंच के शक्तियों में की गई बढ़ोतरी के कारण इस पद को लेकर भी लोगों में खासी दिलचस्पी दिख रही है। ग्राम कचहरी के सरपंच के शक्तियों में इजाफा किया गया। कई तरह के विकास कार्यों में भी सीधे तौर पर इनकी भूमिका सुनिश्चित कर दी गई है जिससे इस चुनाव में सरपंच का पद भी अब महत्वपूर्ण हो चुका है। लोगों का मानना था कि आखिर सरपंच बन ही गए तो इससे 5 वर्ष में मिलने वाला ही क्या है। अपने घर ़का आटा गीला कर दिन भर लोगों के बीच के विवादों को सिर्फ सुलझाना। वही अधिकार सीमित होने के कारण वे बड़ा फैसला भी नहीं ले सकते थे। अब इनकी शक्तियों को बढ़ाए जाने के कारण इस पद के लिए लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है। परिणाम है इस बार मुखिया की तरह सरपंच पद का मुकाबला भी काफी दिलचस्प होने वाला है, और प्रत्याशियों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है।


---सरपंच के अधिकारों में इजाफा---
इससे पहले सरपंच को ग्राम कचहरी के माध्यम से गांव के छोटे-मोटे झगड़ा को सुलझाने तक की शक्ति मिली हुई थी। अब सरपंच के इस अधिकार में इजाफा किया गया है अब इनके जिम्मे सड़कों के रखरखाव से लेकर सिचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ाने जैसी जिम्मेवारी होगी।
वार्ड सदस्य पद भी होड़ में शामिल---
इस बार के पंचायत चुनाव में मुखिया और सरपंच के बाद किसी पद को लेकर मारामारी है तो वह है वार्ड सदस्य। दरअसल गत पंचवर्षीय काल में सरकार ने अपनी ड्रीम योजना हर गली पक्की सड़क योजना में वार्ड सदस्यों की भूमिका सीधे तौर पर सुनिश्चित की थी। वार्ड सदस्यों को मिले इस अधिकार से इस चुनाव में वार्ड सदस्य बनने को लेकर भी काफी होड़ मची हुई है।

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