दर्जनभर पूजा पंडालों में दुर्गा माता की हो रही भव्य पूजा

संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया): नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र में शुक्रवार को दुर्गा माता के दूसरा रूप ब्रह्मचारणी माता की पूजा अर्चना की गई। नरपतगंज प्रखंड मुख्यालय सहित फुलकाहा, घूरना थाना एवं बसमतिया ओपी क्षेत्र में तीन दर्जन पूजा पंडालों में मां दुर्गा की पूजा हो रही है। मूर्ति कारीगर माता के प्रतिमा को अंतिम रूप देने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। पुलिस प्रशासन की ओर से पूजा पंडालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की व्यवस्था की जा रही है। पूजा पंडालों में उचक्कों की हरकत पर नजर रखने के लिए पूर्व में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इसके साथ हीं बाजारों की रौनक भी बढ़ गई है। लाल साड़ी, चुनरी एवं वस्त्रों तथा आभूषणों की दुकानों में काफी चहल-पहल देखी जा रही है। चारों तरफ माता की भक्ति भजन का शोर मच रहा है। कुछ समितियों द्वारा जागरण कार्यक्रम की तैयारी भी की जा रही है। इसके लिए आर्थिक सहयोग भी जुटाया जा रहा है। हिदू धार्मिक मान्यताओं में दुर्गा देवी देवियों में सर्वोपरि माना गया है अन्य पूजा से इस पूजा का सर्वाधिक महत्व है। पुजारी या व्रत धारी नौ दिनों तक सप्तशती पाठ एवं पूजन विधि द्वारा निष्ठा के साथ व्रत करते हैं और नौ दिनों तक उपवास एवं फलाहार करने के बाद अंतिम दिन नौ छोटी बच्ची कन्याओं को भोजन एवं दक्षिणा देकर व्रत तोड़ते हैं। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म ली थी बड़ी होकर भगवान शंकर से उनका विवाह संपन्न हुआ था। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म ली थी बड़ी होकर भगवान शंकर से उनका विवाह संपन्न हुआ था। पुर्नजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। मां ब्रह्मचारिणी मां पार्वती का दूसरा स्वरूप है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। साथ ही जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा प्राप्त होता है।

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