कस्टमर केयर का नहीं साइबर अपराधियों का नंबर

साइबर अपराधियों ने गूगल पर अपने नंबर कस्टमर केयर और कंपनियों के नाम से दर्ज करा रखे हैं। गूगल सर्च इंजन से एक महिला ने ऑन लाइन शापिंग साइट का नंबर खोजा था। फोन शापिंग साइट की जगह साइबर अपराधी को लगा। शातिर ने महिला को एक लिंक भेजा। मोबाइल पर एनी डेस्ट एप डाउनलोड कराया। उसके बाद उनके खाते से 65 हजार रुपये पार कर दिए।

सदर क्षेत्र निवासी महिला ने ऑनलाइन शापिंग साइट से सामान मंगाया था। कुछ सामान गलत आ गया। महिला ने दो दिन पहले इसे बदलने के लिए कस्टमर केयर नंबर ऑनलाइन सर्च किया। एक नंबर पर महिला ने संपर्क किया। महिला इस बात से अनजान थी कि नंबर साइबर शातिरों का है। उन्होंने महिला से कहा कि मोबाइल पर एक लिंक भेजेंगे। उसे ओपन करें। एक कोड आएगा। उसे बताएं। उसके बाद उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा। महिला को लगा कि कंपनी के कर्मचारी से बात हो रही है। उन्होंने ऐसा ही किया। साइबर शातिरों ने एनी डेस्क एप डाउनलोड करा दिया। कोड पूछा उसके बाद महिला के मोबाइल की स्क्रीन दूर बैठकर खुद ऑपरेट करना शुरू कर दिया। उनके खाते से 65 हजार रुपये पार कर दिए। एसएमएस अलर्ट से महिला को जानकारी हुई कि खाते से रकम निकल गई है। महिला ने पुलिस से शिकायत की है।
कंपनी की अधिकृत वेबसाइट पर देखें नंबर
नेट यूजर्स को गूगल सर्च इंजन पर पूरा भरोसा रहता है। जो खोजना होता है सीधे टाइप कर देते हैं। साइबर शातिर इसी बात का फायदा उठा रहे हैं। शातिरों ने विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर और बैंक के नंबर तक अपने रजिस्टर्ड करा रखे हैं। लोग उन्हें सही मानकर फोन मिला देते हैं। वारदात के शिकार हो जाते है। ऐसे अपराध से बचने का एक ही तरीका है। किसी का भी नंबर उसकी की अधिकृत साइट पर जाकर देखें।
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