फाइनेंशियल इंडस्ट्री में कैसे बड़ा बदलाव ला रहा है DeFi

क्रिप्टोकरेंसीज में हाल के वर्षों में दुनिया भर में इनवेस्टमेंट बढ़ा है। इसके साथ ही लोग और कंपनियां डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस ( DeFi) में संभावनाओं की खोज कर रहे हैं।

क्या है DeFi?
DeFi पियर-टू-पियर कॉन्सेप्ट पर आधारित है जो सिस्टम से बिचौलियों को हटाता है। यह बैंक, ब्रोकरेज और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) की जगह लेता है। DeFi स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट टेक्नोलॉजी का ब्लॉकचेन नेटवर्क पर इस्तेमाल करता है। इसमें मैनुअल काम नहीं होता जिससे गल्तियां होने की आशंका कम हो जाती है और कार्यक्षमता बढ़ती है।
DeFi कैसे काम करता है
DeFi प्रोटोकॉल में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कहे जाने वाले कंप्यूटर कोड का इस्तेमाल होता है जो ब्लॉकचेन नेटवर्क पर चलता है। अधिकतर DeFi प्रोजेक्ट्स का सोर्स कोड उपलब्ध होता है और कोई भी व्यक्ति इसकी जांच और ऑडिट कर सकता है। DeFi प्रोटोकॉल के यूजर्स अपने वॉलेट्स के इस्तेमाल से फंड ट्रांसफर करने, उधार लेने या किसी अन्य सर्विस के लिए इन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ कम्युनिकेट कर सकते हैं।
ब्लॉकचेन नेटवर्क पर DeFi प्रोजेक्ट्स कैपिटल, लेंडिंग और डीसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टो और सिथेंटिक स्टॉक एक्सचेंजों तक आसान और कम लागत में उपलब्ध कराते हैं। डीसेंट्रलाइज्ड होने के कारण यूनिस्वैप जैसे कुछ DeFi प्रोजेक्ट्स का वित्तीय बाजार में इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही DeFi बिचौलियों को हटाकर अधिक कुशल वित्तीय सेवाएं कम लागत पर लेने की सुविधा देता है।
ब्लॉकचेन नेटवर्क पर होने और आमतौर पर ओपन सोर्स रहने के कारण इंटरनेट कनेक्शन रखने वाला कोई भी व्यक्ति सोर्स कोड को देखने और ऑडिट करने के साथ ही सभी ट्रांजैक्शंस भी देख सकता है। ब्लॉकचेन नेटवर्क पर कोई जानकारी आने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। इससे एक ऐसा विश्वसनीय फाइनेंशियल सिस्टम बनता है जो कोड पर निर्भर करता है। इसका एक उदाहरण डीसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज (DEX) है।
DEX की बढ़ती लोकप्रियता
पिछले कुछ वर्षों में DEX ने वित्तीय व्यवस्था में बदलाव किया है। ऑटोमेटेड मार्केट मेकर्स टेक्नोलॉजी की मदद से DEX में सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों में ऑर्डर बुक के बजाय एसेट के अनुसार लिक्विडिटी उपलब्ध कराई जा सकती है। उपभोक्ताओं ट्रेडिंग फीस के जरिए इससे इनकम हासिल कर सकते हैं।
सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों की तरह DeFi कंपनियों को क्रिप्टो की खरीद, बिक्री और उधारी जैसी सर्विसेज देने के लिए बिचौलियों की जरूरत नहीं होती। अधिकतर DeFi प्रोजेक्ट्स Ethereum ब्लॉकचेन नेटवर्क पर बने हैं क्योंकि इसके पास शुरुआती में इस सेगमेंट में उतरने का फायदा है। इससे डिवेलपर्स को ऐसे डीसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन (DApp) बनाने में मदद मिलती है। हालांकि, सोलाना, कार्डानो जैसे नए ब्लॉकचेन नेटवर्क्स भी DeFi सेगमेंट में कॉम्पिटिशन बढ़ा रहे हैं।
इंश्योरेंस इंडस्ट्री में इस्तेमाल
DeFi का इंश्योरेंस इंडस्ट्री में इस्तेमाल बढ़ा है। अभी इंश्योरेंस सिस्टम जटिल ऑडिट, पेपरवर्क और नौकरशाही क्लेम प्रक्रिया से जूझ रही है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स से इसे ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकता है। नेक्सस म्यूचुअल, Opyn और VouchForMe जैसे DeFi प्रोजेक्ट्स ब्लॉकचेन नेटवर्क पर क्रिप्टोकरेंसी के लिए इंश्योरेंस कवरेज भी ऑफर करते हैं। इन्फ्लेशन बढ़ने और इंटरेस्ट रेट्स में कमी आने से बचत और निवेश करना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। DeFi प्रोजेक्ट्स से बिना रिस्क के सेविंग और इनवेस्टमेंट करने में मदद मिलती है।
DeFi ने पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम्स को बदल दिया है जिससे कर्ज के प्रोटोकॉल भी DeFi के प्रमुख एप्लिकेशंस में शामिल हो गए हैं। कंपाउंड और पूलटुगेदर (PoolTogether) जैसे DeFi के कई प्रोजेक्ट्स का फोकस पीयर-टू-पीयर (P2P) बॉरोइंग और लेंडिंग मार्केट पर है। डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) ने ट्रांजैक्शन को तेज कर दिया है। खासतौर पर क्रॉस-बॉर्डर लेन-देन को इससे फायदा हुआ है जहां ट्रांजैक्शन में देरी होने और कॉस्ट ज्यादा होने से रकम भेजने वाले और रकम प्राप्त करने वाले, दोनों को दिक्कत होती थी।
DLT ने बैंकों का लोकतंत्रीकरण किया जिससे हर शख्स लोन ले सकता है। यहां तक कि क्रिप्टोकरेंसी गिरवी रखकर भी लोन ले सकते हैं। इसके अलावा DeFi इकोसिस्टम ने टोकनाइजेशन की सुविधा दी है जिसमें ब्लॉकचेन नेटवर्क पर डिजिटल एसेट्स बना सकते हैं। इससे एक नई अर्थव्यवस्था तैयार हुई है।
उदाहरण के तौर पर डिजिटल एसेट्स को NFT के रूप में टोकन बनाया जा रहा है ताकि उसे स्टोर या ट्रेड किया जा सके। DeFi को अपनाने से इसकी ग्रोथ बढ़ी है जहां उपभोक्ता भावी घटनाओं के नतीजों का अनुमान लगाकर ट्रेड कर सकते हैं।
गेमिंग इंडस्ट्री को फायदा
Augur जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ DeFi उपभोक्ताओं को वर्ल्ड इवेंट्स पर बेट लगाने की सुविधा देता है। गेम्स और ईस्पोर्ट्स भी DeFi टेक्नोलॉजी के लिए प्रमुख मार्केट्स के तौर पर उभरे हैं। गेम डिवेलपर्स DeFi टोकन के इस्तेमाल से ऐप में खरीदारी कर सकते हैं। कलेक्टिबल और ट्रेडिंग गेम्स ब्लॉकचेन पर लोकप्रिय हो रही हैं। इनमें प्लेयर्स यूनीक टोकन्स की ट्रेडिंग कर सकते हैं और डिवेलपर्स अपने इकोसिस्टम बना सकते हैं।
DeFi के इन फायदों से यह पता चलता है कि हाल के वर्षों में इसका इस्तेमाल बढ़ने के क्या कारण हैं। इसने 128 अरब डॉलर का मार्केट कैपिटलाइजेशन हासिल किया है।
हालांकि डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज कई सुविधाएं देते हैं लेकिन उनके साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। ट्रेडिशनल बैंकिंग से उलट DeFi पर निवेश पर कोई इंश्योरेंस नहीं होता है। DeFi लोन में दूसरी क्रिप्टोकरेंसी गिरवी रखी जाती हैं। हालांकि अगर गिरावट आती है तो इन एसेट्स की वैल्यू भी तेजी से घट सकती है। इसके अलावा डाटा या पासवर्ड्स जैसे अकाउंट की जानकारी खो जाए तो उसे सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से दोबारा हासिल की जा सकता है।
DEXs पर ट्रेड करते हुए उपभोक्ता अगर सीड फ्रेज भूल गए तो इंफॉरमेशन और फंड से भी हाथ धो सकते हैं। इसलिए निवेश का फैसला करने से पहले उपभोक्ताओं को उन एप्लिकेशंस की पूरी तरह जांच कर लेनी चाहिए कि वो सुरक्षित और पूरी तरह ऑडिट किए हों।
अगर हम संक्षेप में कहें तो सेंट्रलाइज्ड सिस्टम यूजर फ्रेंडली इंटरफेस, नियामक निरीक्षण और बीमा सुविधाओं के कारण बाजार पर अपना दबदबा बना रहा है। DeFi की ग्रोथ ने डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टो एक्सचेंज प्रोटोकॉल्स के लिए जगह बनाई है।
जैसे-जैसे ज्यादा लोग डिजिटल एसेट स्पेस में दाखिल होंगे DeFi को अपनी क्षमताओं का विस्तार करना होगा और सुरक्षा के मामले में और मजूबती लानी होगी।
एथेरियम नेटवर्क अपग्रेडेशन के बाद जब एथेरियम 2.0 हुआ तब से ही यह शुरू हो गया। निकट भविष्य में DEX निश्चित तौर पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को ज्यादा निष्पक्ष, निजी और स्वतंत्र बनाने की कोशिश करेगा। इससे डिसेट्रलाइज्ड फाइनेंस की ग्रोथ बढ़ेगी। क्रिप्टो इनवेस्टमेंट में ताजा डेवलपमेंट और ट्रेंड्स ये है कि ये डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों को लेकर काफी आशावान हैं।
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