चीनी सेना ने LAC के दूसरी तरफ बढ़ाई अपनी ट्रेनिंग एक्सरसाइज, मॉडल विलेज का कर रहा दोहरा इस्तेमाल

लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के आमने-सामने आने के बाद अब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अरुणाचल प्रदेश में विवादित सीमा पर अपने सैन्य अभ्यास के पैमाने और अवधि को बढ़ा दिया है. पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने बताया कि पीएलए पिछले साल से अभी तक वहां तैनात है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष पूर्वी क्षेत्र में एलएसी के पास बुनियादी ढांचे को बढ़ाने का भी प्रयास कर रहे हैं, जिसकी वजह से कई बार विवाद होने की संभावना रहती है.

पीएलए द्वारा वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास उनके गहन क्षेत्रों में बढ़ गए हैं. रिजर्व फॉर्मेशन जुटाए गए (मई 2020 में लद्दाख गतिरोध शुरू होने के बाद) अभी भी गहराई में प्रशिक्षण क्षेत्रों में बने हुए हैं. मनोज पांडे ने कहा कि पीएलए के अभ्यास का फोकस उसके बलों द्वारा एकीकृत अभियानों पर था. उन्होंने कहा कि सेना ने एलएसी के आसपास के घटनाक्रम को नोट किया है और किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काउंटर उपाय किए हैं.
किसी भी परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार भारतीय सेना- मनोज पांडे
किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए सभी क्षेत्रों में पर्याप्त बल तैनात किए गए हैं. हम विभिन्न आकस्मिकताओं के लिए पूर्वाभ्यास और तैयारी भी कर रहे हैं. मनोज पांडे ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में जहां हमारी तैनाती कम थी, इसे मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं. उनकी टिप्पणी लद्दाख में तनाव को शांत करने के लिए भारत और चीन के बीच 13 वें दौर की सैन्य वार्ता के 10 अक्टूबर को एक गतिरोध पर पहुंचने के कुछ दिनों बाद आई, जिसमें पीएलए भारतीय सेना द्वारा दिए गए सुझावों से सहमत नहीं था. अंतिम दौर की बातचीत के दो महीने से अधिक समय के बाद सैन्य वार्ता हुई, जिसके कारण अगस्त की शुरुआत में गोगरा, या पैट्रोल पॉइंट -17 ए, जो लद्दाख में एलएसी पर फ्लैशप्वाइंट में से एक था, से आगे तैनात सैनिकों को हटा दिया गया था. उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में असपिला सेक्टर उन क्षेत्रों में से था जहां भारतीय सेना ने एलएसी के करीब पीएलए द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास को देखा था, और इसके कारण वहां सैनिकों की तैनाती में वृद्धि हुई थी.
चीन ने LAC के पास बनाए कई मॉडल विलेज
चीन ने एलएसी के पास अपनी तरफ कई मॉडल विलेज बनाए हैं. जनरल पांडे ने कहा कि हमारे लिए यह चिंता है कि वह इसका दोहरा इस्तेमाल (सिविल के साथ मिलिट्री मकसद) किस तरह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम अपनी ऑपरेशनल प्लानिंग में इसका नोटिस लेते हैं और उसी हिसाब से रणनीति बनाते हैं.
मई 2020 में नाकू ला में करोड़ों भारतीय और चीनी सैनिक तनावपूर्ण आमने-सामने थे, इस घटना में प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को चोटें आई थीं. इस साल की शुरुआत में दोनों पक्षों के बीच नाकु ला में एक और आमना-सामना हुआ, जिससे इस क्षेत्र को पूर्व में एक संभावित फ्लैशपॉइंट बना दिया गया. पांडे ने कहा कि भारतीय सेना ने उपग्रहों, लंबी दूरी के मानव रहित हवाई वाहनों और अन्य हाई-टेक खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) प्रणालियों का उपयोग करके एलएसी और चीनी गहराई वाले क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है.
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