लगातार बारिश से फसल को भारी तबाही, महानंदा और कनकई उफान पर

पूर्णिया। बीते सोमवार से रूक-रूक कर लगातार हो रही बारिश एवं तेज हवा के कारण जिले के कई क्षेत्रों में किसानों को भारी क्षति हुई है। बनमनखी में क्षेत्र के किसानों की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। वहीं गंगापुर पंचायत के वार्ड 09 एवं वार्ड 10 स्थित दमगाड़ा टोला में बिजली के तार एवं खंभे भी झुक गए हैं।

सीपीआईएम के अनुमंडल संयोजक सचेन्द्र यादव,शंभू यादव,अनमोल यादव,शशि यादव, रणधीर कुमार यादव अभय कुमार, गजेन्द्र यादव,जय नारायण यादव राजीव कुमार, वार्ड पंच विनोद यादव अजीत कुमार,पन्ना लाल यादव,इन्दु यादव एवं पिटू कुमार सहित कई अन्य ग्रामीणों ने बताया कि दमगाड़ा टोला में बिजली के के तीन पोल गिर गए हैं, तथा तीन चार पोल झुककर बांस पर अटक गए हैं। इसी टोला के वार्ड 10 में बिजली पोल पर लगे तार भी नीचे की ओर झुक जाने से खतरे की आशंका बढ़ गई है। उपभोक्ताओं एवं स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना विभाग के अधिकारियों को लेकर प्राथमिकता के आधार पर इसकी मरम्मती की मांग की है।

दर्जनों गांव में प्रवेश किया बाढ़ का पानी
संस,बैसा (पूर्णिया) : पिछले कई दिनों से प्रखंड क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र होकर गुजरने वाली महानंदा एवं कनकई नदी उफना गई है, जिसके कारण जहां दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है, वहीं प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल डूब गई है। जिसके कारण भारी क्षति को देखते हुए किसान परेशान हैं। प्रखंड क्षेत्र के किसानों में राजीव कुमार, बदरुल आलम, जमीर अनवर, जाहीद आलम, बीरेन्द्र कुमार यादव, आदि ने बताया कि महंगा बीज खरीदकर धान की रोपनी की थी। लेकिन लगातार बारिश के कारण पूरे प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस कारण सैकड़ों एकड़ में लगा धान की फसल डूब गई। घर की जमा पूंजी भी खत्म हो गई। महानंदा नदी में समा गया आंगनबाड़ी केंद्र
वहीं आसजा आंगनबाड़ी केंद्र नदी कटाव के कारण महानंदा नदी में समां गया है। साथ ही साथ सिरसी हाट से पोखरया एवं काशीबाड़ी गांव जाने वाली मुख्य पक्की सड़क बाढ़ के दबाव के चलते कटने के कगार पर है। आलू की रोपाई का काम भी बाधित
संस,रूपौली (पूर्णिया) : प्राकृतिक विपदा ने किसानों का रहा-सहा सबकुछ लूट लिया है । हर ओर तबाही का मंजर सामने है, किसानों के आंखों से आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहा है । पहले प्रयलंकारी बाढ़, फिर भीषण बारिश ने सबकुछ लूट लिया है । जबकि अभी तक सरकार के द्वारा ना तो बाढ़ का और ना ही किसी और का नुकसान का मुआवजा मिल पाया है । यह बताना आवश्यक है कि पिछले अगस्त एवं सितंबर माह में आयी प्रयलंकारी बाढ़ ने किसानों के केला, धान सहित खरीफ फसलें डूबो दी थीं । किसान उससे उबरने के बाद फिर से रबी की खेती में जूट गए थे । इसमें सबसे मंहगी फसल आलू की होती है । किसान सैकड़ों एकड़ में पिछले 10 अक्टूबर से लगाना शुरू कर दिया था । लगभग सभी आलू लगाने वाले किसानों ने अपनी-अपनी रोपाई कर ली थी । सारी फसलें डूब गयी हैं ।

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