सुबह आनलाइन था गांव, शाम में कहीं गम तो कहीं बंट रही थी खुशियां..

पूर्णिया। शुक्रवार को जिले के धमदाहा प्रखंड के सभी 20 पंचायतों के विभिन्न पदों के लिए हुए चुनाव का परिणाम घोषित कर दिए गए। मतगणना को लेकर सुबह सात बजते बजते पूर्णिया कालेज चौक परिक्षेत्र प्रत्याशियों, समर्थकों के भीड़ से पटने लगा था। प्रत्याशियों व अभिकर्ताओं में अंदर पहुंचने की होड़ लगी थी, वहीं भीड़ बाहरी परिक्षेत्र में सुरक्षित ठिकाना की तलाश में व्यस्त थी। यह बस यहां का मेला था। मतगणना स्थल की इस कोलाहल का दूसरा रुप उन गांवों में भी था, जिनके प्रतिनिधि चुने जाने थे। हर गांव शुक्रवार को सुबह से ही पूरी तरह आनलाइन था। ग्रामीण परिवेश का यह डिजिटल रुप अपने आप में एक बड़ा संकेत भी था। कल का धूलसूरती गांव आज नई दिशा की ओर कदम बढ़ा चुका है। अगला नजारा और अजीब था। एक ही दालान पर जमे बीस लोगों में कम से कम पांच लोगों की मोबाइल पर टिकी निगाहें व पल-पल की सूचना शेयर करने की होड़..। एक ही दालान पर किसी के लिए गम तो किसी के लिए खुशियों का संवाद व उसपर एक-दूसरे की चुटकी..। जीतने वाले कहीं दालान से नीचे उतर अपनी बात रखते तो गम वाले अपने तर्क के सहारे माहौल को एक नई दिशा दे रहा था। यह मतदाताओं की शालीनता के साथ उनकी मजबूत बौद्धिक क्षमता का परिचायक भी था। गांव किसी मर्यादा का उल्लंघन करने को तैयार नहीं था। दोपहर होते गांवों में किसी ओर ईद तो किसी ओर मुर्हरम वाली स्थिति थी। एक तरफ सड़कों पर आतिशबाजी तो दूसरी गली में फैला सन्नाटा..। दो कदम पर मौजूद गम व खुशियां का यह हाल वातावरण को अपने स्वरुप में ढाल लिया था। कहीं इशारों से खुशियां बांटी जा रही थी तो कहीं दिलासों के स्वर गूंज रहे थे ..। शाम से ही कहीं जेनसेट लगाकर रोशनी का प्रबंध किया गया था तो कहीं दरवाजे की लाइट तक बुझा दी गई थी..। आंखों में नींद किसी तरफ नहीं थी। एक तरफ गम ने नींद उड़ा रखी थी जो दूसरी तरफ खुशियां सोने ही नहीं दे रही थी..।

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