मतदान के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चौकस रहा पुलिस- प्रशासन

जागरण संवाददाता, खगड़िया: पंचायत चुनाव के पांचवें चरण के तहत रविवार को बेलदौर प्रखंड की 15 पंचायतों में हुए मतदान को लेकर पुलिस प्रशासन के लोग चौकस दिखे। शांतिपूर्ण व निष्पक्ष मतदान को लेकर सुरक्षा को लेकर पुख्ता प्रबंध किए गए थे। सभी मतदान केंद्रों पर दंडाधिकारी के साथ-साथ पुलिस अधिकारी व जवान तैनात दिखे। जो मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी कर रहे थे। इसके अलावा प्रमुख जगहों पर भी पुलिस बलों की तैनाती की गई थी। कहीं कोई चूक न हो, इसे लेकर पुलिस प्रशासन के अधिकारी अलर्ट मोड में दिखे। मतदान को लेकर गश्ती दल के अधिकारी, सेक्टर, जोनल व कलस्टर अधिकारी संबंधित क्षेत्र में लगातार गश्ती करते रहे। वहीं स्थानीय स्तर पर पुलिस अधिकारी व जवान भी गश्त करते रहे। निर्वाची पदाधिकारी के अलावा एसडीओ अमन कुमार सुमन, एसडीपीओ मनोज कुमार, लोक शिकायत अधिकारी मु. शफीक अलग- अलग क्षेत्र में भ्रमण करते रहे। वहीं डीएम आलोक रंजन घोष, एसपी अमितेश कुमार, एडीएम शत्रुंजय मिश्र भी भ्रमण करते हुए सुदूर क्षेत्र के बूथों पर भी पहुंच कर मतदान कार्य का जायजा लेते दिखे। नदी पार वाले इलाके में एसडीआरएफ की टीम लगातार जल क्षेत्र में भ्रमण करती रही। आपदा प्रबंधन अधिकारी टेश लाल सिंह एसडीआरएफ टीम के साथ बोट से नदी पार के बूथों का जायजा लेते दिखे।


सुबह के 10 बजे तीन घर फिर बागमती में समाया
जागरण संवाददाता, खगड़िया: अग्रहण में बागमती का तांडव जारी है। एक बार फिर रविवार को सुबह 10 बजे तीन घर देखते ही देखते बागमती में विलीन हो गए। गंगा चौधरी, अनिल चौधरी और शांतनु चौधरी के घर बागमती के गर्भ में समा गए। कटाव इतना तेज था कि पीड़ित लोग घरों से कई सामान नहीं निकाल पाए। ये लोग खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। गंगा चौधरी ने कहा कि न जाने बागमती कब अग्रहण पर दया बख्शेगी। कब यह सिलसिला रुकेगा। यहां छह माह से कटाव जारी है। अब तक 40 से ज्यादा घर नदी में समा गए हैं। स्थानीय निवर्तमान वार्ड सदस्य पांडव साह ने बताया कि
बीजू चौधरी, रामा चौधरी, राजू चौधरी, अमरनाथ चौधरी, रणवीर चौधरी, जुगल चौधरी के घर का आधा हिस्सा कट चुका है। ये घर कभी भी नदी में विलीन हो सकते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से गांव को बचाने की गुहार लगाई है। पांडव साह ने बताया कि गांव पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों से कटाव बंद था। लेकिन इस सप्ताह से फिर कटाव शुरू हो गया है। बागमती रफ्तार में है। उन्होंने कहा कि शुरू में अधिकारी आते थे, अब तो कोई झांकने तक नहीं आते हैं। जनप्रतिनिधि भी उदासीन है। गांव का बचना मुश्किल है। लगता है अग्रहण नदी में विलीन हो जाएगा। अक्टूबर में ऐसा कटाव ग्रामीणों की याददाश्त में नहीं है। इस माह में नदी उपद्रव नहीं मचाती थी। लेकिन इस बार बागमती क्रुद्ध है। मान नहीं रही हैं। ग्रामीणों की अनुनय-विनय सुन नहीं रही है।

अन्य समाचार