जनता की अदालत का फैसला है तैयार, कल लगेगी मुहर



जागरण संवाददाता, सुपौल : प्रतापगंज, छातापुर और राघोपुर सहित बसंतपुर प्रखंड में हुए चुनावी महासंग्राम के बाद पांचवें चरण में पिपरा प्रखंड की 15 पंचायतों के 225 मतदान केंद्रों पर तीन नवंबर को मतदान होगा। इसके लिए मंगलवार की रात निर्णायक होगी। इस रात जो प्रत्याशी अपने वोटरों को समेट लेंगे वे ही मैदान मारेंगे क्योंकि जनता की अदालत का फैसला तैयार है इसपर कल सिर्फ मुहर लगेगी।

पिपरा प्रखंड क्षेत्र में मतदान के लिए अब एक दिन का समय बाकी है। चुनावी समर में उतरे उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जनसंपर्क में जुटे हुए हैं और अपनी अर्जी जनता की अदालत में समर्पित कर चुके हैं। 499 सीटों के लिए 2006 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। कुल प्रत्याशियों में से लगभग साढ़े चार सौ से अधिक ऐसे हैं जो निवर्तमान हैं। ऐसे प्रत्याशियों को तो मतदाता पूर्व से जानते हैं, उनके क्रिया-कलाप को जानते हैं। पिछले चुनाव में उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके मतदाताओं में से कुछ ऐसे भी हैं जो उनके कार्यकाल से असंतुष्ट रहे। उनकी बातों को तवज्जो नहीं मिली तो उनका खफा होना वाजिब है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें मनाने की भरपूर कोशिश हुई। कुछ ऐसे प्रत्याशी भी हैं जो पिछले चुनाव में भी प्रत्याशी थे लेकिन जनादेश नहीं मिला, कुछ ऐसे प्रत्याशी हैं जो पहली बार अपना आवेदन जनता की अदालत में लगाए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों के समर्थक भी क्षेत्र में अपने पक्ष में फिजां तैयार करने में लगे रहे। निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के समर्थक तो चुनाव प्रचार में अपने कार्यकाल का बखान करते रहे और विकास कार्यों को गिनाते रहे लेकिन शेष प्रत्याशी कार्यकाल की कमी निकालकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में लगे रहे। चुनाव के माहौल हो चर्चाओं का बाजार गर्म नहीं हो ऐसा हो भी नहीं सकता। इस बात को तब पंख लग गए जब एक-एक कर अन्य प्रखंडों के चुनाव परिणाम सामने आते गए और अधिकांश निवर्तमान प्रतिनिधियों को बाहर का रास्ता देखना पड़ा। क्षेत्र में पग-पग पर इसको लेकर बहस होती देखी गई। बहस में विकास के चर्चे भी होते तो जातीय रंग एवं कुनबे की गोलबंदी की भी बात होती थी। गांवों में बा•ारों में सिर्फ और सिर्फ चुनावी चर्चा का माहौल था। इन चर्चा में चुनावी पंडित भी पूरी तरह सक्रिय रहे। प्रत्याशियों की जीत-हार का गणित सुलझाया जाता रहा। समर्थक मतदाताओं को यह समझाते रहे कि कौन से पद के लिए कौन प्रत्याशी इस बार मजबूत स्थिति में है, किस प्रत्याशी की स्थिति इस बार कमजोर रहेगी। जाति का वोट किसे जाएगा। तमाम बातों पर मतदाता माथापच्ची करते रहे। फिलहाल जब प्रचार का शोर थम गया है तो चुनाव के जानकारों के अनुसार अबतक किया गया सारा प्रचार अब एक दिन और एक रात पर सिमट गया है। अंतिम घड़ी में जो प्रत्याशी अपने वोटरों को समेट लेगा उसकी जीत तय मानी जाएगी। समर्थकों और प्रत्याशियों के समझाने का, रुठने और मनाने का क्या कुछ हुआ। इस मुद्दे पर यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता की अदालत का फैसला क्या आता है।

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