अस्पताल में हो सकती है मुंबई जैसी घटना, खुले में वायरिग, कभी भी लग सकती आग

संवाद सूत्र, मुंगेर : मुंबई के अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद भी जिला स्वास्थ्य विभाग जागा नहीं है। जिले के सदर अस्पताल और शहर के कई निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के मुकम्मल इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में यह लापरवाही से किसी दिन बड़ा हादसे का कारण बन सकता है। योगनगरी सरकारी अस्पताल और कई भवन असुरक्षित हैं। इनमें न फायर सेफ्टी के व्यापक इंतजाम हैं और न ही किसी तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं। सदर अस्पताल अग्निशमन यंत्र हैं भी तो वे बहुत समय पहले ही एक्सपायर हो चुके हैं। ऐसे में यह मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मुंबई की घटना के बाद रविवार को जागरण की टीम आग लगने पर इस पर काबू कैसे पाया जाए, इससे जानने के लिए सदर अस्पताल और कुछ होटल और रेस्तरां में पहुंची। जहां की व्यवस्था देखकर टीम दंग रह गई। सदर अस्पताल अग्निश्मन यंत्र लगा तो है लेकिन उसकी वैधता कई माह पहले समाप्त हो चुकी है। अग्निशमन यंत्र की जांच नहीं की गई है। यानी आग से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि आज इसे रिफिलिग किया जा सका है।


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बिजली बोर्ड की व्यवस्था दयनीय
सदर अस्पताल के इमरजेंसी, महिला वार्ड, पुरुष वार्ड, ओपीडी सहित कई विभागों में बिजली वायरिग व्यवस्थित नहीं है। ऐसे में कभी भी शार्ट सर्किट होने का खतरा बना रहता है। मुख्य बोर्ड के पास वायरिग की जीर्ण-शीर्ण व्यवस्था है। तारों को ढंका नहीं गया है। ऐसे में यह लापरवाही मरीजों के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खतरे से कम नहीं है। स्वास्थ्य विभाग को इस पर तुरंत अमल करने की जरूरत है।
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अधिकांश उपकरण हो चुके एक्सपायर
अस्पताल में आग लगने की स्थिति में उस पर काबू पाने के लिए पर्याप्त संख्या में फायर संयंत्र लगाए गए हैं। इनकी तिथि एक्सपायर हो चुकी है। चंद उपकरणों को अस्पताल प्रशासन ने कुछ माह पहले रिफिल कराया था। संयोग से यह रिफिलिग भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिली। कई जगहों पर अग्नि शमन यंत्र लगा मिला लेकिन उसका तिथि समाप्त हो गया है। यहां के सभी वार्डों में हर दिन 50 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है।
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कोट
-सदर अस्पताल को तोड़कर नया भवन बनना है। इसका काम अगले माह से शुरू होगा। एक्सपायर अग्निशमन यंत्र को रिफिलिग के लिए कहा गया है। बिजली तारों को व्यवस्थित करने का निर्देश दिया गया है।
-डा. हरेंद्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन।

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