त्योहारी सीजन में भी निराश रह गए किसान, पैक्सों ने नहीं खरीदा धान

पूर्णिया। यूं तो हर साल प्राकृतिक आपदा किसानों की परीक्षा लेती है। कभी बाढ़ तो कभी तूफान उनकी मेहनत पर पानी फेर जाता है। नए-नए रोग भी फसलों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। लेकिन सरकारों की उपेक्षा भी उन्हें कम निराश नहीं कर रही है। सरकार ने इस बार एक नवंबर से ही सहकारिता विभाग के माध्यम से धान खरीद करने की घोषणा की थी। साथ ही धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य में 72 रुपये के वृद्धि करते हुए 1940 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित किया। किसानों को खुशी थी कि त्योहारी सीजन में धान बिकने से उनकी दिवाली और छठ पर्व खुशियों के साथ मनेगी। लेकिन किसानों को मौसम की तरह सरकार की घोषणा ने भी निराश ही किया। पैक्सों में न तो दिवाली से पहले धान की खरीद शुरू हो पाई और अब छठ भी शुरू हो गया है लेकिन सहकारिता विभाग मौन है। हां, छठ पर्व शुरू होने के एक दिन पूर्व प्रतीकात्मक रूप से रविवार को दो पैक्सों का उद्धाटन मंत्री और जिला प्रशासन द्वारा जरूर किया गया लेकिन अधिसंख्य किसान आज भी मायुश हैं। त्योहार मनाने के लिए किसानों को एक बार फिर व्यापारियों के रहमो करम पर ही रहना पड़ा।

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10 हजार से अधिक किसानों ने कराया है रजिस्ट्रेशन
सरकार ने इस साल तय समय पर किसानों के धान की खरीदारी को लेकर अक्टूबर में ही कलेंडर जारी कर दिया था। पिछले साल रिकार्ड धान की खरीदारी के बाद इस बार भी राज्य सरकार ने चरणबद्ध तरीके से धान खरीदने का निर्देश दिया था। जिसमें कोसी और पूर्णिया में एक नवंबर से 31 जनवरी तक धान की खरीदी का समय निर्धारित किया। जिले में इसके लिए 192 पैक्स और व्यापार मंडल का चयन किया गया। इसके साथ ही अपने धान बेचने के लिए किसानों ने ऑनलाइन आवेदन करना शुरू कर दिया। विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में अभी तक 10 हजार से अधिक किसानों ने धान बेचने की इच्छा जताते हुए अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। जिसमें रैयती एवं गैर रैयती दोनों किसान हैं। लेकिन उनकी मंशा त्योहार के अवसर पर पूरी नहीं हो पाई।
गत वर्ष से 72 रुपये अधिक निर्धारित किया गया है एमएसपी
पिछले वर्ष किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये दिया गया था लेकिन इस बार सरकार ने उसमें वृद्धि करते हुए सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रुपए प्रति क्विटल निर्धारित किया है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रुपए प्रति क्विटल रखा है। गत वर्ष सहकारिता विभाग द्वारा जिले में लक्ष्य से अधिक धान की खरीद की गई थी। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 95 हजार एमटी लक्ष्य के विरुद्ध जिले में 11106 किसानों से 84507.15 एमटी धान की खरीदारी की थी। इस बार चूकि त्योहार से पूर्व सरकार ने धान खरीद की घोषणा की थी तो किसानों की उम्मीद बढ़ी थी लेकिन समय से धान की खरीद शुरू नहीं होने से उन्हें निराश होना पड़ा हैं।

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