लोक आस्था का महापर्व छठ आज नहाय-खाय से आरंभ

जागरण संवाददाता, खगड़िया: आज सोमवार से नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो जाएगा। चार दिवसीय महापर्व को लेकर कई कथाएं मौजूद हैं। छठ पूजा का विशेष महत्व है और मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है। इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी। तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं। छठ पूजा का त्योहार चार दिनों तक चलता है और महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं। जो चार चरणों में संपन्न होता है। छठ पूजा का पहला चरण होता है नहाय-खाय, जो कि आज से शुरू हो रहा है। आठ नवंबर से शुरू होने वाला यह महापर्व 11 नवंबर की सुबह संपन्न होगा।

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पहला दिन नहाय-खाय
पहला दिन 'नहाय-खाय' के रूप में मनाया जाता है। घर की सफाई के बाद छठ व्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती है। इस दिन व्रती कद्दू- लौकी की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का भात खाते हैं। नौ नवंबर को खरना खरना, छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन खरना की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। खरना के साथ ही व्रती निर्जला उपवास पर चली जाती है। शाम होने पर गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। तीसरा दिन संध्या अ‌र्घ्य 10 नवंबर को तीसरे दिन शाम का अ‌र्घ्य दिया जाएगा। सूर्य षष्ठी को छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन पूरे दिन के उपवास के बाद शाम को डूबते सूर्य को व्रती द्वारा अ‌र्घ्य दिया जाता है। तीसरे दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाते हैं। शाम को बांस की टोकरी में अ‌र्घ्य का सूप सजाया जाता है। सभी छठ व्रती एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अ‌र्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अ‌र्घ्य दिया जाता है तथा छठ मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। चौथा दिन उगते सूर्य को अ‌र्घ्य छठ पूजा के चौथे दिन 11 नवंबर को व्रत का पारण किया जाता है और छठ पर्व का समापन होता है। इस दिन व्रती सुबह सूर्यादय से पहले घाट पर जाकर पानी में खड़े होते हैं और उगते सूर्य की पूजा कर अ‌र्घ्य देते हैं। फिर प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है।
सबसे कठिन व्रत क्यों माना जाता है छठ दीपावली के छठे दिन मनाया जाने वाला छठ व्रत दुनिया के सबसे कठिन व्रतों में से एक है। यह व्रत बड़े नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। व्रती खुद से ही सारा काम करते हैं। नहाय-खाय से लेकर सुबह के अ‌र्घ्य तक व्रती पूरे निष्ठा का पालन करते हैं। 36 घंटों का निर्जला व्रत रखते हैं। यह व्रत आरोग्य से भी जुड़ा हुआ है।

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