असमय आई बाढ़ ने बढ़ाई किसानों की मुसीबत मक्के की खेती पर पड़ा भाड़ी असर

अरुण कुमार झा, रेणुग्राम (अररिया): मौसम का मिजाज कब बदल जाय यह किसी को पता नहीं। इसी बदले मौसम की मार से जिले किसान का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। बेरहम बादल ने हजारों किसानों के भविष्य के अरमानों को छलनी कर दिया। हर साल प्रकृति मार झेल रहे अररिया जिले किसानों के लिए अक्टूबर के चौथे सप्ताह में असमय आई बाढ़ के कारण जहां एक धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है। वहीं अब आगे की खेती मकई फसल की बोआई करने वाले किसान भी इसे चितित हैं । बेमौसम बाढ़,बारिश की दोहरी मार से किसानों की मुसीबत बढ़ गई है। दर्जनों गावों के हजारों एकड़ में लगी फसलों की बर्बादी किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है।बाढ़ की तबाही झेल रहे किसान इससे उबरे नही की अब मक्के की बोआई का मौसम आ गया है। किसानों की नजर अब अगली फसल पर है। पटसन का यह महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। पटसन के खेती से लोग अब विमुख हो रहे है।इसकी अपेक्षा यहां के किसान पिछले कुछ वर्षो से मकई की खेती पर ज्यादा निर्भर है। अक्टूबर नवंबर माह में किसान मक्के की फसल लगाते है।लेकिन जिले के अधिकांश खेतों पानी जमा है।जिसे सूखने में 20-30 दिन का समय लग जाएगा। ऐसे में अगर अगली फसल मक्के की बुआई लेट से होगी तो फसल तैयार होने के समय मानसून आ जाएगा और फिर से संकट उत्पन्न हो जाएगा। फारबिसगंज किसान जगन्नाथ झा,महेंद्र मंडल, मो.सफीक का कहना है कि इस बार धान की फसल देखकर वे लोग इतरा रहे थे।फसल अच्छी लगी थी।घुटराज किस्म के धान एक दो दिन में कटकर घर लाया जाता। कई किसानों के धान तो खेतों में कटकर सुख रहा था। लेकिन प्रकृति की मार ने सबकुछ चौपट कर दिया। धान की फसल तो गया ही,उन लोगों के अब मक्के की फसल पर भी ग्रहण लगा हुआ है।किसान कहते है कि मक्के की बुआई का समय काफी निकट आ गया है।अधिकांश खेतों में पानी जमा है।जिसे सूखने में समय लग जाएगा। नमी रहने के कारण मक्के की बुआई भी ससमय होना मुश्किल है। समय पर मक्के की खेती होने पर कटनी के समय फसल के नस्ट होने की मुसीबत खड़ी हो जाती है।पिछले बर्ष मक्का किसानों का दर्द भी कुछ इस तरह ही था। तैयार मक्के की फसल मानसूनी बारिश की भेंट चढ़ गई थी। बीते बर्ष भी जिले के कई गांवों में मकई के दाने मौसम की मार से सड़ कर बर्बाद हो गई थी। ऐसे में दोहरी मार के शिकार हो रहे किसान को सहायता की दरकार है।लेकिन किसानों के दर्द को महसूस करने बाला कोई नजर नहीं आता।


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