अधर में लटकता दिख रहा जिले में मेडिकल कालेज निर्माण का सपना



- 35 लाख की आबादी आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से है मरहूम
- सारी सुविधा युक्त आईसीयू वार्ड का नहीं हो रहा संचालन
- केवल सदर अस्पताल को छोड़कर किसी अस्पताल में नहीं है सिटी स्कैन की सुविधा
राकेश मिश्रा,अररिया: जिले में मेडिकल कालेज निर्माण का सपना फिलहाल अधर में लटकता दिख रहा है। लगभग तीन वर्ष पूर्व जिले में मेडिकल कालेज निर्माण की कवायद रखी गई थी। जिला प्रशासन द्वारा जमीन भी चिन्हित किया गया। सारी प्रक्रिया भी पूरी की गई लेकिन तीन वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद निर्माण कार्य आरंभ नही किया जा सका। मिली जानकारी के अनुसार जिले में मेडिकल कालेज का निर्माण फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। ताज्जुब की बात ये भी है कि सरकार के जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इस मामले की और ध्यान नही दिया जा रहा है। जानकारों की मुताबिक जिले में अगर मेडिकल कालेज का निर्माण हो जाता तो स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में ये मिल का पत्थर साबित होता और जिलेवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल पाती। लेकिन पिछले तीन वर्षों से जिले में मेडिकल कालेज निर्माण केवल टेबुल तक ही सीमित रह गई। जानकारी देते हुए एडीएम अनिल कुमार ठाकुर ने बताया कि मेडिकल कालेज निर्माण में जिला प्रशासन द्वारा जो कार्रवाई की जानी थी वो पूरी की जा चुकी है। जमीन को चिन्हित कर एनओसी भी भेजा जा चुका है। हम लोग भी निर्माण कार्य आरंभ होने की प्रतीक्षा देख रहे है। अगर जिले में मेडिकल कालेज का निर्माण होता है तो ये एक बड़ी आबादी के लिए काफी ही महत्वपूर्ण होगा।

करोड़ों खर्च के बाद भी नही मिल पा रही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा: जिलेवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है। इसके बावजूद लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नही मिल पा रही है। कही चिकित्सक की कमी तो कही कर्मी की। कही मशीन है तो आपरेटर नही है। आपरेटर है तो मशीन नहीं। इसके अलावा बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं से जिलेवासियों को मरहूम होकर निजी अस्पतालों की और रुख करना पड़ रहा है।
-----------
सदर अस्पताल में आठ एम्बुलेंस है मौजूद - जिले में गंभीर मरीजों को तुरंत चिकत्सीय सुविधा दिलाने के लिए एम्बुलेंस का अहम योगदान रहता है। इतनी बड़ी आबादी के लिए सदर अस्पताल में केवल आठ एम्बुलेंस मौजूद है। जिस कारण एम्बुलेंस की किल्लत से आये दिन दो चार होना पड़ता है। सरकारी एम्बुलेंस तो किफायती दरों पर जिलेवासियों को उपलब्ध हो जाती है। मगर निजी एम्बुलेंस के चालक मनमाना भाड़ा वसूलते है। आये दिन सरकारी एम्बुलेंस नही मौजूद रहने के कारण मरीजों को आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ता है। दूसरी और विभिन्न प्रखंडों के एक दर्जन से अधिक खराब एम्बुलेंस सदर अस्पताल में वर्षो से पड़े हुए है। मामूली खर्च पर इन्हें ठीक कराया जा सकता है। ठीक कराने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओ की बेहतरी में ये व्यापक असर डाल सकते है। लेकिन इस और फिलहाल किसी का ध्यान नहीं है।
------------
- नही संचालित हो रहा आईसीयू वार्ड- सदर अस्पताल में छह माह पूर्व गम्भीर मरीजों के इलाज के लिए आईसीयू वार्ड का निर्माण किया गया था। जिसमे छह बेड मौजूद है। आइसीयू वार्ड का तो निर्माण किया गया मगर वेन्टीलेटर असपरेटर की नियुक्ति नहीं की गई। वेन्टीलेटर आपरेटर की कमी के कारण वार्ड का संचालन नहीं किया जा सका। इस दौरान आईसीयू वार्ड नही रहने से कई मरीजों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा। जिले के स्वास्थ्य समिति द्वारा कर्मियों को मशीन ऑपरेट करने की जानकारी भी दी गई। मगर अब तक स्थाई आपरेटर की नियुक्ति नही हो सकी है। जिस कारण इस महत्वपूर्ण वार्ड का संचालन सही से नही हो पा रहा है।
----------
35 लाख की आबादी के लिए केवल दो इंफ्यूजन पंप है मौजूद - किसी भी बीमारी में अधिकतर बच्चों को या वयस्क को पानी चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए जिले में केवल दो इंफ्यूजन पंप मौजूद है। ये सुविधा सदर अस्पताल में छोड़कर किसी अनुमंडल अस्पताल या प्रखंड अस्पताल में मौजूद नही है। सदर अस्पताल में भी ये सुविधा केवल दो मरी•ाों को प्राप्त हो सकती है। ताजुब्ब की बात ये है कि प्रशासन द्वारा अब तक विभाग से इंफ्यूजन पंप की मांग भी नही की गई है और न ही इस और कोई पहल किया जा रहा है। जबकि सूबे के सभी अस्पताल इसे एक अच्छा उपकरण मानते है और अन्य जिलों में इस पंप की अच्छी स्टाक मौजूद। यहां बता दे कि इंफ्यूजन पंप के माध्यम से मरीजो को आटोमेटिक तरीके से पानी चढ़ाया जाता है। पानी की कमी होने पर ये पंप इंडिकेट भी करता है। बच्चों के लिए काफी उपयोगी मशीन है। कोरोना काल में जब शाररिक दूरी महत्वपूर्ण थी। ऐसे समय ये मशीन मरीजों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। केवल सदर अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा- जिले में मनोरोग या सड़क दुर्घटना में दिमाग में चोट लगने पर केवल सदर अस्पताल में ही इला•ा किया जा सकता है। दरअसल दिमागी चोट का इलाज के लिए केवल सदर अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा मौजूद है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुमंडल स्तर या प्रखंड स्तर पर सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने की भी अब तक कोई कवायद नही की गई है।
----------
फारबिसगंज में नही बन पाया पीडियाट्रिक वार्ड- बच्चों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज करने के लिए सदर अस्पताल में 12 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया है। सभी बैड पर ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इसके अआवा फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में भी छह बेड की पीडियाट्रिक वार्ड बनाने की कार्ययोजना पिछले एक वर्ष से लंबित है। जो अब तक नहीं बन पाया। इसके अलावा जिले के एक दर्जन अस्पतालों में पीडियाट्रिक वार्ड नही है। विभाग द्वारा इसके लिए न तो कोई वार्ड ही चिन्हित किया गया है और न ही कोई कार्ययोजना है। प्रखंड स्तर पर बच्चों के इलाज की भी व्यवस्था नहीं है।
-----------
कोट- स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग पटना से भी लगातार बात की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही कमियों को दूर कर लिया जायेगा।- - डा.एमपी गुप्ता, सिविल सर्जन अररिया।

अन्य समाचार