खगड़िया में नाव हादसा: रह-रहकर घरों से उठती हैं सिसकियां

खगड़िया। नयागांव नाव हादसा को तीन दिन हो गए हैं। लेकिन 16 नवंबर, मंगलवार को यहां के लोग भूल नहीं पा रहे हैं। यहां के लोगों के मानस पटल पर यह मनहूस तिथि अंकित हो गई है। जोरावरपुर और दरियापुर भेलवा के छह लोगों की जान देखते ही देखते चली गई। जब तक लोग कुछ समझ पाते, नाव ने गंगा की उपधारा में समाधि ले ली। अभी भी महादलित टोला नयागांव, पंडित टोला नयागांव और सतखुट्टी नयागांव में मृतकों के स्वजनों की सिसकियां रह-रहकर सुनाई पड़ती हैं। दरियापुर भेलवा पंचायत की मृतिका श्वेता कुमारी की मां सीता देवी कहती हैं- दो बेटे के बाद देवी-देवताओं से बेटी मांगी थी। जिसे गंगा मैय्या ने छीन लिया। पंडित टोला की संगीता देवी कहती हैं- मेरी गोद सुनी हो गई। प्रभात कुमार उर्फ दिलखुश उनका इकलौता बेटा था। वहीं इकलौते पुत्र जितेंद्र ने अपनी मां शर्मिला देवी को खो दिया है। जितेंद्र के पिता का स्वर्गवास पांच वर्ष पहले ही हो चुका है। रुन्नी देवी की सिदूर धूल चुकी है। उनके पति पंकज सिंह की मौत भी नाव दुर्घटना में हो गई। सीमा देवी की सिदूर भी संतोष कुमार उर्फ कारे सिंह की मौत बाद धूल चुकी है। सीमा देवी के पांच बच्चे हैं। कहती हैं- अब इसे कौन देखेगा? छह घरों से रह-रहकर सिसकियां उठती हैं। आसपास भी गम का चादर लिपटा है। गुरुवार को सूरज उगा, लेकिन गम का चादर लिपटा हुआ था।


प्रशासनिक लापरवाही से हुई नाव दुर्घटना
आल इंडिया यूथ फेडरेशन के संजीव कुमार सिंह, कैलाश पासवान, संजीव कुमार, सर्वोत्तम कुमार व प्रियव्रत चौधरी ने एक बयान जारी कर कहा है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण नयागांव नाव दुर्घटना हुई है। जीविकोपार्जन के लिए किसान खेती और पशुपालन को लेकर नाव के सहारे दियारा जाते हैं। किसानों की हजारों एकड़ खेती गंगा के उस पार में है। जिसके लिए सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। किसान और खेतिहर मजदूर व पशुपालक निजी नावों का सहारा लेते हैं। निजी नाव मालिक नाव परिचालन के नियमों का पालन नहीं करते हैं। जिससे दुर्घटना घटित होती है। कहा कि गंगा घाटों पर सरकारी नाव की व्यवस्था की जाए।

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