जिले में पहली बार मनी भव्य तरीके से देव दीपावली, ग्रंथों में है महत्व

संतोष कुमार झा, ताराबाड़ी (अररिया): धार्मिक अनुष्ठानों में देव दीपावली की मान्यता बढ़ती जा रही है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तथा अच्छे मौसम के बीच संस्कृति की मनोरम ²श्य को बढ़ावा देने वाली यह त्योहार अब अररिया जैसे शहरों में भी छठा बिखेरनी लगी है। दैनिक जागरण के प्रयास पर जिले में पहली बार परमान नदी के त्रिशुलिया घाट पर देव दीपावली इतनी भव्य तरीके से मनाई गई। जहां भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देते हुए विश्व हिदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने भी बड़ी ही श्रद्धा भाव से कार्यक्रम मनाकर जिले में देव दीपावली पर्व की शुरुआत की है। अररिया प्रखंड के खमगड़ा-जमुआ निवासी पंडित विजय कुमार झा के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है। साथ यह दिवाली देवताओं द्वारा मनाई जाती है इसी लिए इसे देव दिवाली का संज्ञा दिया गया। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन समय में इस तिथि पर शिवजी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसके अलावा मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार भी लिया था। इसी कारण देव दीपावली विभिन्न मायनों में प्रसिद्ध है।

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दीपदान की है परंपरा-- इस दिन सभी प्रसिद्ध नदी व तीर्थ क्षेत्रों के घाटों पर दीपदान की परंपरा है। देवताओं द्वारा मनाए जाने वाले इस दिवाली को अब लोग देव दिवाली के रूप में मनाने की इस जिले में भी शुरुआत हो चुकी है।
बताया कि इस दिन नदियों में स्नान करने का खास महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाने तथा स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान का महत्व है।

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