सहरसा नगर परिषद नाम बड़े और दर्शन छोटे

संस, सहरसा : तमाम कोशिश के बावजूद सहरसा नगर परिषद को स्वच्छता में 409वां रैंक मिला। कभी 50 हजार लोगों को नगरपालिका के रूप में सहरसा के लोगों को शहरीकरण का बेहतर लाभ मिलता रहा, परंतु शहरीकरण के विस्तार और सरकार के द्वारा लगातार बढ़ाई जा रही सुविधाओं के बावजूद साफ-सफाई के मामले में प्रमंडलीय मुख्यालय लचर साबित हो रहा है। मुख्य सड़कों पर झाड़ू लग रहा है। कचरे उठाए जा रहे हैं, लेकिन गली- मोहल्लों का बुरा हाल है। स्वच्छता 2021 की रैकिग के लिए भी सड़कों पर खूब झाड़ू लगाया गया। कचरे भी उठाए गए, परंतु गली- मोहल्ले में सुखाड़ के दिनों में भी लोग गंदे पानी में चलने के लिए विवश हो रहे हैं। बरसात के दिनों में सहरसा नगर की स्थिति बेहद ही विकराल हो जाती है। लोग कई-कई दिनों तक घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। जलनिकासी के नाम पर तीन वर्षों में 51 करोड़ रुपये वुडको के द्वारा सात करोड़ रुपये नगर परिषद के द्वारा खर्च किया गया, परंतु शहर की जलनिकासी नहीं हो सकी। काफी हो-हंगामे के बाद मंत्री-डीएम आदि की पहल पर दर्जनों पंपसेट लगाकर नगर का पानी पटेल मैदान में फेंका गया, परंतु इससे कुछ मुहल्ले का काम चला। शहर के शेष मोहल्लों का हाल आज भी बुरा है। ऐसे में नारकीय सुविधा झेल रहे सहरसा में सड़कों से कचरा हटाकर स्वच्छता में बेहतर रैकिग की कल्पना कोरा स्वप्न जैसा है। यही कारण है कि शहर की मुकम्मल सफाई व जलनिकासी बिना स्वच्छता के बेहतर रैकिग संभव नहीं है।


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स्वच्छता के मामले में जो कमियां रही, उसके हर बिन्दू पर विचार - विमर्श कर उन समस्याओं को दूर करने का शीघ्र प्रयास किया जाएगा। साथ ही नगर के आमलोगों को भी इसके लिए जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा ताकि नगर को स्वच्छता मामले में बेहतर रैकिग प्राप्त हो सके।
आदित्य कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, सहरसा

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