महेशखूंट। अगहन में रबी की बोआई परवान पर होती है, लेकिन यहां तीन सौ एकड़ खेतों में जलजमाव है। किसान इस कारण खेत जोत तक नहीं सके हैं। इस कारण रबी की खेती लगभग चौपट हो गई है। ऐसे में किसानों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। छह अगहन बीत चुका है और खेतों में हल नहीं पड़े हैं। किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसा पहले नहीं हुआ था। बाढ़ और बारिश के बावजूद पानी निकल जाता था। लेकिन जलनिकासी के श्रोतों को अतिक्रमणकारियों ने बंद कर दिया और खेतों में जलजमाव है।
कई गांवों की है खेती-बाड़ी
जीएन तटबंध व रेलवे के दक्षिण पार स्थित बहियार में महेशखूंट थाना क्षेत्र के बन्नी, समसपुर, सलीमनगर व झिकटिया के किसानों की खेती-बाड़ी है। लेकिन इस वर्ष बूढ़ी गंडक में आई उफान और अक्टूबर की मूसलाधार बारिश से तीन सौ एकड़ में जलजमाव है।
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क्या कहते हैं किसान
मुरारी चौधरी व ललन चौधरी ने कहा कि लगता है इस बार रबी की खेती से हाथ धोना पड़ेगा। अमर बिदु चौधरी ने बताया कि उनकी उक्त बहियार में 12 एकड़ खेत है। जिसमें मुख्य रूप से गेहूं और मक्का की खेती करते थे। लेकिन, इस बार जलजमाव के कारण खेती मुश्किल है। मुरारी चौधरी की 14 एकड़ और नित्यानंद चौधरी की 25 एकड़ में यहां खेती है। जलजमाव के कारण इस बार जुताई-बोआई मुश्किल है। अमर बिदु चौधरी ने बताया कि पहले लोहिया चौक महेशखूंट और मदारपुर के निकट के पुलिया से पानी निकल जाता था। यह पुलिया अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है। अब धूप में ही पानी सुखेगा। जलधर सिंह, एतवारी साह ने बताया कि किसानों के सामने इस बार भुखमरी की स्थिति उत्पन्न होने वाली है।
कोट
अभी पंचायत चुनाव को लेकर व्यस्तता है। इसके बाद इस बिदु पर किसानों से मिलकर विचार-विमर्श किया जाएगा। खेतों का जायजा लेकर समस्या के समाधान का प्रयास किया जाएगा।
रंजन कुमार, सीओ, गोगरी प्रखंड, खगड़िया।