अंतरजातीय विवाह योजना की जिले में उपलब्धि निराशाजनक

संवाद सहयोगी, जमुई: राज्य सरकार के द्वारा अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए आज से पांच वर्ष पूर्व शुरू की गई मुख्यमंत्री अंतरजातीय विवाह योजना की उपलब्धि जिले में निराश करने वाली है। इस योजना की के तहत दो वर्षों में मात्र 13 लोगों को लाभ मिलना योजना की उदासीनता बयां करने के लिए पर्याप्त है। इसे सामाजिक सुरक्षा कोषांग विभाग की लापरवाही कहें या अलग-अलग प्रखंडों में तैनात पदाधिकारियों की शिथिलता, वजह जो भी हो यह योजना वर्तमान समय में बिल्कुल ही हवा हवाई बनकर रह गई है। सच्चाई यह है कि अलग-अलग प्रखंडों में पदस्थापित अधिकारियों और कर्मियों द्वारा लोगों को सही तरीके से जानकारी भी नहीं दिया जाता है। जिसके कारण यह योजना आज भी अंतरजातीय विवाह करने वाले लोगों की पहुंच से दूर है और बहुत सारे लोगों को तो इस योजना के बारे में सही तरीके से जानकारी भी नहीं है। सही तरीके से जानकारी नहीं होने के कारण जिला स्तर से विभाग को इस योजना के एवज में लाभुकों से प्राप्त आवेदन के आलोक में सही तरीके से राशि की भी मांग नहीं की जाती है। राज्य सरकार के द्वारा इस योजना का शुभारंभ सामाजिक समीकरण को सु²ढ़ करने के लिए किया गया था। लेकिन वर्तमान समय में यह योजना कहीं से भी जमीन पर उतरती हुई नहीं दिख रही है और फाइलों में दबकर दम तोड़ती हुई नजर आ रही है।


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कौन कर सकते हैं इस योजना के लिए आवेदन
मुख्यमंत्री अंतरजातीय विवाह योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वाले युवक की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और युवती की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा अपने उम्र को प्रमाणित करने के लिए उक्त युवक अथवा व्यक्ति को अपना जन्म तिथि प्रमाण पत्र भी आवेदन के साथ संलग्न करना पड़ता है।साथ ही उक्त योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वाले युवक अथवा युवती में से किसी एक का इस राज्य का निवासी होना अनिवार्य है। साथ ही इस योजना का लाभ लेने वाले आवेदक को आवेदक के साथ आधार कार्ड अथवा वोटर कार्ड का छाया प्रति भी संलग्न करना पड़ता है ।साथ ही बैंक पासबुक की स्व अभिप्रमाणित प्रति भी संलग्न करनी पड़ती है।
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कहते हैं सामाजिक सुरक्षा कोषांग प्रभारी
सामाजिक सुरक्षा कोषांग प्रभारी रवि प्रकाश गौतम की मानें तो इस योजना का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने और इस योजना के तहत अधिक से अधिक आवेदन देने के लिए सभी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से कई बार जानकारी दी गई है। प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के द्वारा समुचित तरीके से इस योजना को अमलीजामा पहनाने में सहयोग नहीं किया जा रहा है।

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