अब कहानियां सुनाकर बच्चों का किया जा रहा है मानसिक विकास

संवाद सूत्र, सहरसा: शिक्षा विभाग अब छोटे-छोटे बच्चों को कहानियां सुनाकर उसकी मानसिक व बौद्धिक क्षमता का विकास करने में लगी है। बच्चों के मानसिक तनाव को कम करने के लिए यूनिसेफ के सहयोग से राज्य सरकार ने बिहार में पहली बार इसे लागू किया गया है। टेक इट इजी परियोजना के तहत छात्र-छात्राओं के कई तनावों को कम करने का प्रयास किया जाएगा।

कोरोना काल में बच्चों की बढ़ती मानसिक स्थिति एवं उसके तनाव को कम करने के लिए ही सरकार ने इस योजना का शुभारंभ 22 नवंबर से किया है। सरकार ने बच्चों के लिए एक नंबर जारी किया है जिसपर बच्चे सिर्फ मिस्ड काल करेंगे। इसके बाद उन्हें काल आएगा और उसे एक कहानी मोबाइल पर ही सुनाई जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक आडियो कहानी आधारित कार्यक्रम प्रदान करना है जो किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई को संबोधित करेगा। कला गतिविधियों से छात्रों के उनके डर, भावनाओं को व्यक्त करने, उन्हें प्रेरित करने, नई सकारात्मक आदतों को सीखने और लचीलापन बनने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी शुरूआत नालंदा वे फाउंडेशन ने यूनिसेफ के सहयोग से और तमिलनाडु सरकार के साथ मिलकर पिछले साल किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए टेक इट ईजी परियोजना का शुभारंभ किया था। जो अब बिहार में यूनिसेफ के सहयोग से किया जा रहा है।
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9266616444 पर करें मिस्ड काल
टेक इट ईजी को तीस दिन के प्रोजेक्ट के रूप में डिजायन किया गया है। जिसमें हर दिन एक कहानी सुनायी जाएगी। 22 नवंबर से यह कहानियां सुनना बच्चों के लिए काफी आसान है। बच्चों को एक मोबाइल नंबर 9266616444 बताया जाएगा। जिस नंबर पर मिस्ड काल देनी होगी। मिस्ड काल के बाद एक स्वचालित काल बच्चों के पास वापस जाएगी और उस पर कहानी सुनायी जाएगी। सभी कहानियां पांच मिनट के समय सीमा में ही होगी।
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- पहली बार बच्चों को प्रेरक व लाभप्रद कहानी सुनाकर उसका तनाव को कम किया जाएगा। बच्चो के अंदर के डर को समाप्त करने एवं उनमें सकारात्मक भाव पैदा किया जाएगा। इससे छात्र- छात्राओं का आत्मबल मजबूत होगा और कुछ नया सीखने को मिलेगा।

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