महज औपचारिकता बनकर रह गई नि:शक्तजन विवाह योजना

संवाद सहयोगी, जमुई । इसे जिले के अधिकारियों की लापरवाही कहें या प्रचार प्रसार का अभाव लेकिन पांच वर्षों में मात्र नौ लोगों को मुख्यमंत्री निशक्तजन विवाह योजना का लाभ मिलना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि यह योजना वर्तमान समय में फाइलों में दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकार के लाख प्रयास के बाद भी मुख्यमंत्री निशक्तजन विवाह योजना जिले के सामाजिक सुरक्षा विभाग के कार्यालय के फाइल में रखे हुए पन्नों की शोभा बढ़ा रही है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना को आज से पांच वर्ष पूर्व निशक्त लोगों को विवाह करने के पश्चात प्रोत्साहन देने के लिए प्रारंभ किया गया था लेकिन वर्तमान समय में इस योजना का लाभ मात्र चंद लोगों तक पहुंच पाना ही इसकी बदहाली को बयां करने के लिए पर्याप्त है। सामाजिक सुरक्षा कोषांग के कर्मियों की मानें तो इस योजना के लिए लोगों द्वारा आवेदन नहीं किया जाता है लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल ही अलग है। क्योंकि बहुत सारे लोगों को तो इस योजना के बारे में सही तरीके से जानकारी भी नहीं है और न ही इसका सही तरीके से प्रचार प्रसार किया जाता है। वर्ष 2016 में इस योजना को लागू किया गया था और उस समय लाभुकों को 50 हजार रुपया दिया जाता था। इसके पश्चात वर्ष 2017 से इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपया कर दिया गया। उसके बाद भी इस योजना की पहुंच इतने कम लोगों तक होना समझ से परे है। -----


कौन कर सकते हैं इस योजना के लिए आवेदन मुख्यमंत्री अंतरजातीय विवाह योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वाले युवक की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और युवती की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा अपने उम्र को प्रमाणित करने के लिए उक्त युवक अथवा व्यक्ति को अपना जन्म तिथि प्रमाण पत्र भी आवेदन के साथ संलग्न करना पड़ता है। साथ ही उक्त योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वाले युवक अथवा युवती में से किसी एक का इस राज्य का निवासी होना अनिवार्य है। साथ ही इस योजना का लाभ लेने वाले आवेदक को आवेदक के साथ आधार कार्ड अथवा वोटर कार्ड की छाया प्रति भी संलग्न करना पड़ता है। इसके अलावा इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वाले निशक्त स्त्री पुरुष की विकलांगता 40 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। बैंक पासबुक की स्व अभिप्रमाणित प्रति भी संलग्न करनी पड़ती है। -- कोटयोजना का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने और इस योजना के तहत अधिक से अधिक आवेदन देने के लिए सभी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से कई बार जानकारी दी गई है। लेकिन प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा समुचित तरीके से इस योजना को अमलीजामा पहनाने में सहयोग नहीं किया जा रहा है।
रवि प्रकाश गौतम, सामाजिक सुरक्षा कोषांग प्रभारी।

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