16 हजार एमटी डीएपी की दरकार, मिली है दो हजार

-एक बोरी खाद के लिए किसान दिनभर लगे रहते कतारों में

-मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने से सकते में है विभाग
जागरण संवाददाता, सुपौल : जिले में खाद के लिए यूं ही किसानों के बीच हाहाकार नहीं है। रबी सीजन के लिए विभाग ने खाद का जितना लक्ष्य निर्धारित किया था उसका महज छह फीसद खाद ही जिले को अब तक आवंटित हो पाई है। नतीजा है कि खाद को लेकर जिले में मारामारी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थिति ऐसी बनी है कि बोआई को ले किसानों के खेत तैयार हैं परंतु उन्हें खाद मिल ही नहीं रही है। जहां कहीं भी किसानों को खाद उपलब्ध होने की सूचना मिलती है किसानों का जमावड़ा वहां लग जाता है। एक बोरी खाद के लिए किसान दिनभर कतारों में लगे रहते हैं। जब तक उनकी बारी आती है पता चलता है कि गोदाम में खाद बची ही नहीं। यह स्थिति किसी एक या दो प्रखंडों की नहीं है बल्कि जिले भर में खाद को लेकर यही स्थिति बनी हुई है। परिणाम है कि जगह-जगह खाद को लेकर किसान सड़क पर उतर जा रहे हैं। किसानों की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर करें तो क्या करें। मजबूरीवश किसान हाथ पर हाथ धरे खाद के इंतजार में बैठे हैं। कई किसानों ने तो अब खाद की आस ही छोड़ दी है। बिना खाद के ही रबी की फसल की बोआई करने लगे हैं। दरअसल जिले में खाद की किल्लत कमोबेस खरीफ के सीजन से ही उत्पन्न हो गई थी। खरीफ फसल के समय ही डीएपी सहित यूरिया की किल्लत बनी थी। इधर रबी सीजन शुरू होते ही बाजार से डीएपी गायब हो गई जिसके कारण डीएपी के लिए यहां हाहाकार मचा है। अब तो विभाग भी खाद को लेकर कुछ बोल नहीं पा रहा है। मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने के कारण अब विभाग भी सकते में है।
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90 हजार हेक्टेयर में होगी रबी फसल की बोआई
जिले में इस वर्ष 90 हजार हेक्टेयर में रबी फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 16 हजार मैट्रिक टन खाद की आवश्यकता अनुमानित है। इसके एवज में जिले को 2189 एमटी खाद की अभी तक आपूर्ति संभव हो पाई है। इसमें 700 एमटी डीएपी, 1243 एमपी चंबल फर्टिलाइजर का मिक्सचर तथा 246 एमटी इफ्को का मिक्सर खाद प्राप्त हुई है। जबकि रबी की बोआई का लगभग आधा समय बीतने को है। इधर मौसम के साथ मिलने से खेत भी जल्द तैयार हो जा रहा है। ऐसे में किसानों की मांग के अनुरूप खाद नहीं मिलने के कारण जिले में इसको लेकर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है।
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सता रहा मिलावटी खाद का भय
किसान बताते हैं कि बाजार में डीएपी की कीमत 16 सौ से लेकर 17 सौ तक लिए जा रहे हैं। इसके अलावा इसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल है। कहा जाता है कि नकली खाद काफी मात्रा में जिले में आपूर्ति की कमी को पाटने के लिए चोरी-छिपे मंगाई गई है। विभाग द्वारा डीएपी की कीमत 12 सौ तय किया गया है। इधर किसानों को मिलावटी खाद का भय सता रहा है।
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मक्के की बोआई में भी डीएपी की मांग
जिले में गेहूं और तेलहन की खेती होती है। कृषि विभाग द्वारा मुख्य तौर पर गेहूं और तेलहन की खेती के लिए ही डीएपी का डिमांड किया जाता है। इसके विपरीत यहां व्यापक पैमाने पर मक्का की खेती भी होती है। इसकी बोआई में भी डीएपी का प्रयोग किया जाता है। डीएपी खाद की किल्लत का यह भी एक बड़ा कारण बन रहा है।
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कहते हैं अधिकारी
खाद की किल्लत को कम करने के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है एक-दो दिनों के अंदर तीन सौ मैट्रिक टन डीएपी तथा 522 एमटी मिक्सचर की आपूर्ति जिले को उपलब्ध होने वाली है।
समीर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी

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