अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी कविता के पास नहीं हैं इलाज के पैसे

चंदन चौहान, खगड़िया : फरकिया की धरती पर खेल को एक नई ऊंचाई देने वाली अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी कविता आज आर्थिक तंगी के कारण घुटने में लगी अपनी चोट का इलाज नहीं करा पा रही हैं। फिर भी वह हार मानने को तैयार नहीं हैं। रग्बी के प्रति असीम प्रेम उन्हें मैदान पर खींच लाता हैं। वह इस पिछड़े जिले में रग्बी खिलाड़ियों की नई पौध तैयार कर रही हैं।

मालूम हो कि दुबई में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रग्बी मुकाबले में चयन के लिए ओडिसा में आयोजित दो महीने के प्रशिक्षण कैंप के दौरान कविता की घुटने के पीसीएल लिगामेंट टूट जाने के कारण उन्हें निराश होकर घर लौटना पड़ा था। कविता 15 नेशनल खेल चुकी हैं जबकि दो अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में भी भाग ले चुकी हैं। उड़ीसा में नवंबर माह में फाइनल सलेक्शन के लिए मुकाबला हो रहा था। खेल के दौरान दाहिने पैर के घुटने के पीसीएल लिगामेंट टूट जाने कारण उन्हें घर वापस आना पड़ा। वहां देश के 30 रग्बी खिलाड़ियों में 14 का चयन होना था जो दुबई में अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में भाग लेतीं। लेकिन चयन से ठीक पहले कविता के अरमानों पर पानी फिर गया। कविता ने बताया कि लिगामेंट टूटने की सूचना भारत रग्बी संघ के सचिव नासिर हुसैन को दी है। उन्होंने इंशोरेंस कराने की बात कही है। कविता ने बताया कि आपरेशन के लिए पैसे नहीं है। बावजूद मैं जिले के रग्बी खिलाड़ियों के हौसलों को टूटने नहीं दूंगा। बता दें कि कविता ने 2018 में आस्ट्रेलिया में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में पाकिस्तान को धूल चटाया था। कविता के खेल से प्रसन्न होकर आस्ट्रेलिया में भारत के राजदूत ने बुलाकर सम्मानित किया था। वहीं फिलीपींस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रग्बी में भी उन्होंने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया था। कविता के लगातार अच्छे प्रदर्शन के कारण खेल दिवस के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्मानित किया। लेकिन इस बार लिगामेंट टूटने के कारण अंतरराष्ट्रीय मुकाबले से बाहर होने का उन्हें बेहद मलाल है। वह कहती हैं कि जिला प्रशासन हर क्षेत्र में लोगों को मदद करती है। लेकिन खेल के क्षेत्र में किन्हीं का ध्यान नहीं जाता। आज जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है। लेकिन कोई उसे तराशने वाला नहीं है। मुझे आपरेशन के लिए फिलहाल दो लाख की जरूरत है। लेकिन आर्थिकी तंगी के कारण मैं अपना इलाज नहीं करा सकती हूं। मालूम हो कि जब कविता छोटी थी, तो सर से पिता का साया उठ गया। मां नीमा देवी जीविका समूह में काम कर किसी तरह घर चला रहीं हैं। कविता भी ट्यूशन पढ़ाती है। इससे उनके घर का गुजारा होता है। खेल के माध्यम से जिला स्तर पर उपचार नहीं हो सकेगा। मेडिकल कालेज में ही उनका उपचार होगा। लिगामेंट के आपरेशन के लिए खिलाड़ियों को राशि का प्रावधान है या नहीं, इसकी जानकारी ली जाएगी।
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- आलोक रंजन घोष, डीएम, खगड़िया।

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