केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने शेखपुरा सदर अस्पताल का लिया जायजा

शेखपुरा। दिल्ली से आई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने मंगलवार को सदर अस्पताल का जायजा लिया। यह टीम आज घाटकुसुंभा पीएचसी का जायजा लेगी। अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को देगी। टीम ने डा. रघुवंश सिंह तथा डा. निकलेश कुमार शामिल हैं। जांच टीम के लीडर डा. रघुवंश ने दैनिक जागरण से बातचीत में शेखपुरा सदर अस्पताल की व्यवस्था पर संतोष जताया,मगर यहां जगह के साथ मैन पावर की भी कमी बताई। सदर अस्पताल में सिजेरियन प्रसव नहीं होने पर भी चिता जताई। कहा सर्जन के अभाव में सिजेरियन नहीं हो रहा है। अब सर्जन की नियुक्ति हो गई है,अब सिजेरियन भी शुरू किया जाएगा। टीम ने ब्लड बैंक में भी कर्मी की कमी बताई। सिजेरियन के लिए ब्लड बैंक का सक्रिय होना जरूरी है। सदर अस्पताल में मातृ-शिशु वार्ड और एसएनसीयू के अलग-अलग रहने पर भी आपत्ति जताई है। दोनों को साथ में रहना चाहिए,मगर जगह की कमी से ये दोनों अलग-अलग हैं। सदर अस्पताल में सौ बेड काम नहीं करने पर भी टीम ने संज्ञान में लिया है। बेड के कमरों में ही जांच तथा कई दूसरी तरह की यूनिट संचालित हो रही है। टीम लीडर ने बताया आवश्यकता महसूस हुई तब सदर अस्पताल का और भवन बनाया जा सकता है। टीम ने केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित स्वास्थ्य कार्यक्रमों की भी समीक्षा की। टीम ने सिविल सर्जन तथा अस्पताल प्रबंध्क के साथ बैठक भी की।


आधे विशेषज्ञ चिकित्सकों ने नहीं दिया योगदान
जिले के लिए राज्य सरकार ने पिछले महीने 13 चिकित्सकों को पदस्थापित किया था। इसमें से कई विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक भी थे। मगर एक पखवाड़ा से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लगभ्गा आधे चिकित्सक अपना योगदान नहीं दिया है। नव पदस्थापित चिकित्सकों के इस व्यवहार से जिला के स्वास्थ्य विभाग में मैन पावर की कमी को दूर करने का सरकार के प्रयास को धक्का लगा है। सिविल सर्जन डॉ पृथ्वीराज ने बताया इस स्थिति से उच्च अधिकारी को अवगत करा दिया गया है। इनमें से अधिकांश का पदस्थापन सदर अस्पताल में किया गया है। जानकारी में बताया गया सदर अस्पताल के लिए 2 रेडियोलाजिस्ट,एक हड्डी रोग,3 शिशु रोग,एक सर्जन और 6 सामान्य चिकित्सक का पदस्थापन किया गया है। मगर एक पखवाड़ा से अधिक बीत जाने के बाद अभी तक मात्र 7 चिकित्सकों ने योगदान दिया है। योगदान देने वालों में 2 रेडियोलाजिस्ट,2 शिशु रोग,एक सर्जन तथा 2 सामान्य चिकित्सकों ने अपना योगदान दिया है। सदर अस्पताल में अभी भी कई विशेषज्ञ चिकित्सक का पद खाली पड़ा है। सबसे बड़ी बात सदर अस्पताल में एक भी महिला रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। इससे महिला जनित बीमारियों से पीड़ित मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ती है।

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