आंगनबाड़ी के माध्यम से शिशुओं के स्वास्थ्य पर रखी जा रही नजर

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सही देखभाल से ही शिशु मृत्यु दर में कमी संभव है। बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं मजबूत करने के साथ माताओं के बीच जागरूकता भी आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं का सही पोषण, समय पर टीका, नियमित जांच स्वास्थ्य शिशु के जन्म में सहायक होता है। उक्त बातें आइसीडीएस की डीपीओ ने आंगनबाड़ी सेविकाओं की बैठक में कही। कहा कि छह माह तक केवल मां का दूध, समय पर टीका लगाना, सही पोषण पर फोकस अधिक ध्यान देना चाहिए। महिला और शिशु के स्वास्थ्य की सभी तरह की जानकारी उपलब्ध हो इसके लिए समेकित बाल विकास परियोजना के माध्यम से कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है। स्वास्थ्य व पोषण संबंधी सभी जानकारी हासिल कर सकते है। नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य माता के हेल्थ से जुड़ा होता है। गर्भावस्था से पूर्व अपने स्वास्थ्य को सु²ढ़ रखना चाहिए। महिलाओं के शरीर में खून की कमी होती है। जिसके लिए गर्भावस्था पूर्व से ही उन्हें आयरन, फालिक एसिड की गोली का सेवन करना चाहिए। आयरन युक्त आहार के सेवन को प्राथमिकता देनी चाहिए। गर्भावस्था के बाद प्रसव पूर्व जांच, टेटनस टीका भी गर्भवती महिला को लेना जरूरी होता है। प्रसव के बाद नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान, 6 माह तक केवल स्तनपान, कंगारू मदर केयर, शिशुओं की निमोनिया जांच और टीका उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर लोगों को शिशुओं के पूरक पौष्टिक आहार की जानकारी नियमित तौर पर सेविकाओं द्वारा दी जाती है। केंद्रों में सेविका और एएनएम के द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों के नवजात शिशुओं की नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण की जाती है।


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