टीबी के गंभीर मामलों का पता लगाने में ट्रूनेट मशीन का उपयोग बेहद उपयोगी



संसू, अररिया। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। टीबी रोग से संबंधित मामलों की जांच में बढ़ोतरी इस प्रयास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सही समय पर रोग का पता लगाते हुए इसका समुचित इलाज सुनिश्चित कराना इसका मुख्य उद्देश्य है। जांच के सही व सटीक नतीजे प्राप्त करने के उद्देश्य से संभावित टीबी रोगियों की जांच के लिये ट्रूनेट मशीन उपयोग में लायी जा रही है। ट्रूनेट मशीन के जरिये कम समय में जांच के बेहद विश्वसनीय नतीजे प्राप्त किये जा सकते हैं। इतना ही ट्रूनेट मशीन के माध्यम से टीबी के गंभीर मामलों का पता लगाना बेहद आसान होता है। ट्रूनेट मशीन के जरिये टीबी के संभावित रोगियों की जांच का इंतजाम जिला यक्ष्मा केंद्र व फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में पूर्व से उपलब्ध है। पलासी पीएचसी में ट्रूनेट मशीन के जरिये जांच प्रक्रिया शुरू हो गई है। रोगी के लिए हुआ : सीडीओ डा. वाईपी सिंह ने कहा कि ट्रूनेट जांच टीबी संबंधी मामलों का पता लगाने का सबसे आसान जरिया है। पूर्व से टीबी रोगियों की जांच के लिए सीबीनेट मशीन उपयोग में लाई जाती थी। इसमें टीबी के गंभीर रोगियों का पता लगाना मुश्किल होता था। लिहाजा मरीजों को जांच के लिए सदर अस्पताल व फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल रेफर कर दिया जाता था। पीएचसी में यह सुविधा उपलब्ध होने से अब लोगों को जांच के लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं होगी। पीएचसी के पीएचसी पलासी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. जहांगीर आलम ने कहा कि ट्रूनेट मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध होने से पलासी ही नहीं सिकटी, जोकीहाट सहित नजदीकी अन्य इलाके के लोगों को विशेष सुविधा होगी। जांच का सही नतीजा प्राप्त होने से समय पर रोगी का इलाज संभव हो सकेगा।

क्या कहते हैं कार्डिनेटर जिला टीबी एवं एड्स कार्डिनेटर दामोदर प्रसाद ने बताया कि टीबी के गंभीर रोगियों का पता लगाने में ट्रूनेट मशीन बेहद उपयोगी है। इसकी मदद से जांच नतीजे प्राप्त होने में अपेक्षाकृत कम समय लगेंगे। एमडीआर रोगी की जांच काफी आसान हो जायेगा। ट्रूनेट मशीन के उपयोग को लेकर लेब टेक्नीशियन व एसटीएलएस को खासतौर पर प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि अररिया, फारबिसगंज के साथ-साथ अब इसकी सुविधा पलासी टीबी यूनिट पर भी उपलब्ध हो सकेगा।

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