विद्यालयों में नहीं पकती खिचड़ी, उपस्थिति पर दिख रहा असर

जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना संक्रमण के कारण पिछले करीब 2 वर्षों से विद्यालयों में ठंड पड़े चूल्हे को फिर से जलने की आस में हजारों बच्चे टकटकी लगाए बैठे हैं। इधर विभाग है कि अब भी एमडीएम योजना के तहत बच्चों को खाद्यान्न के अलावा उन पर होने वाले खर्च की राशि बच्चों के खाते में दे रही है। परिणाम है के लाख प्रयास के बाद भी बच्चों की उपस्थिति विद्यालयों में नामांकन के अनुपात में नहीं हो पा रही है। दरअसल सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान बंद पड़े स्कूली बच्चों को प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित एमडीएम योजना के तहत खाद्यान्न और राशि देने का फैसला लिया। करीब डेढ़ वर्ष बाद जब पिछले अगस्त माह से विद्यालय को बच्चों के लिए खोल दिया गया तो पर भी पहले वाले फार्मूले से इस योजना को संचालित किया जा रहा है। मतलब अब भी बच्चों को इस योजना के तहत खाद्यान्न और राशि ही दी जा रही है। जिसका असर बच्चों के उपस्थिति पर दिख रहा है। इधर विद्यालय में एमडीएम नहीं पकने के कारण स्कूल पहुंचने वाले बच्चों को या तो टिफिन साथ लाना पड़ रहा है या फिर दोपहर के भोजन के लिए उन्हें विद्यालय से वापस घर जाना पड़ता है ।


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18 63 विद्यालयों में संचालित है यह योजना
जिले के 1863 प्रारंभिक विद्यालयों में यह योजना संचालित है । जिससे हजारों बच्चे इस योजना से लाभान्वित होते हैं। कोरोना संक्रमण से पूर्व योजना के तहत पका पकाया भोजन बच्चों के बीच परोसा जाता था। जिससे दोपहर के भोजन के लिए बच्चों को घर जाने की झंझट नहीं होती थी। दोपहर का भोजन विद्यालय में ही मिल जाने के कारण बच्चे छुट्टी के समय ही घर जाते थे। लेकिन वर्तमान हालत है कि विद्यालय में भोजन नहीं पकने के कारण बच्चों को मध्यांतर के समय घर जाने देने की मजबूरी रहती है ।
अब जबकि बच्चों के लिए विद्यालय को खोल दिए गए हैं। नियमित रूप से कक्षाएं भी संचालित हो रही है। परंतु एमडीएम नहीं पकने के कारण विद्यालय प्रबंधन को काफी परेशानी होती है । मध्यांतर के समय बच्चों को छोड़ने की मजबूरी रहती है । छोटे-छोटे बच्चे होने के कारण उन्हें समय का ख्याल नहीं रह पाता है। इधर बच्चे के गायब रहने से विद्यालय प्रबंधन को हमेशा औचक निरीक्षण का भय बना रहता है।
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बच्चों की उपस्थिति पर असर
विद्यालय में एमडीएम नहीं पकने के कारण इसका प्रभाव बच्चों की उपस्थिति पर भी देखा जा रहा है। शुक्रवार को पिपरा प्रखंड स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय केशव नगर का जायजा लिया गया तो कक्षा 1 से 8 तक मैं कुल नामांकित 472 बच्चों के बदले महज 190 बच्चे ही उपस्थित थे। इस बाबत विद्यालय प्रधान ने बताया कि बच्चों की उपस्थिति कम रहने का कारण विद्यालय में एमडीएम का नहीं पकना है ।जब एमडीएम विद्यालय में पकता था तो उपस्थिति काफी अधिक रहती थी। उन्होंने बताया कि अभी तो 190 बच्चे उपस्थित है लेकिन मध्यांतर के बाद इसकी संख्या में और कमी होगी। कुछ ऐसे बच्चे हैं जो दोपहर का भोजन करने घर जाते हैं परंतु लौट कर नहीं आते हैं। कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण समाप्त होने के बाद भी विद्यालय में एमडीएम का नहीं पकना बच्चों की उपस्थिति को प्रभावित कर रहा है।

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