बेहतर शिक्षा के अधूरे रहे ख्वाब, अब उम्मीदों की तसल्ली

समस्तीपुर। कोरोना संक्रमण का खतरा भले ही जाते साल की खुशियों पर कुंडली मार बैठ गया। लेकिन, इस साल में शिक्षा जगत को नए प्रयोग का अवसर मिला। इसी के साथ संक्रमण से लड़ने की आदत भी लोगों के बीच विकसित हुई। अभिभावक व बच्चों से लेकर शिक्षक तक बच्चों की प्राण और भविष्य रक्षा के लिए तत्पर रहे। इसी के साथ प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग किए गए। पहला कोरोना जैसी महामारी के नाम और इसके प्रभाव संग बचाव के तरीकों को बच्चों के जेहन में डाला गया। नतीजा पहली बार मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग आरंभ हुआ। द्वितीय चरण में सरकारी व गैर सरकारी उच्च विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं आरंभ हुई तो महामारी से प्रभावित छात्रों और उनके अभिभावकों को निराशा के धुंध में आशा की किरण दिखी। सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में बंदी के बावजूद बच्चों का मध्याह्न भोजन जारी रखा। पहले उनके खाते में नकद राशि भेजी गई तो बाद में अभिभावकों को बुलाकर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए खाद्यान्न भी उनके हवाले कर दिया। स्कूल नहीं खुले तो क्या हुआ बच्चों को पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध करा दी गईं।

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शिक्षा के क्षेत्र में जिले की स्थिति कभी ज्यादा अच्छी नहीं रही। न तो समाज में शिक्षा के अनुकूल माहौल बन पाया और न ही कभी सियासतदानों ने शैक्षणिक सुविधाओं के लिए कभी कोई मांग उठाई है। यदि शिक्षा के क्षेत्र में नई सौगात की बात करें तो वर्ष 2021 में जिले की झोली खाली ही रही है। कुछेक सुधार हुए हैं, लेकिन उन्हें बड़ी उपलब्धि नहीं कही जा सकती। जिले में हाई स्कूल में स्मार्ट क्लास जैसे कार्यक्रम पहले ही शुरू हुए हैं। ये सुधार महज स्कूली शिक्षा के स्तर के हैं। कॉलेज स्तर की पढ़ाई के लिए आज भी जिले के विद्यार्थी दूसरे जिलों पर निर्भर हैं। समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर को छोड़कर जिले में कोई भी सरकारी कॉलेज नहीं है जहां पीजी की पढ़ाई हो सके। बलिराम भगत महाविद्यालय में पीजी के कुछेक विषयों की पढ़ाई शुरू होगी। न ही यहां के नेताओं ने कभी कॉलेज के लिए मांग उठाना उचित समझा। अब ख्वाबों को तसल्ली देने के लिए यह कह सकते हैं कि शायद वर्ष 2022 में इस दिशा में सरकार खुद ही कुछ सोच ले। यह साल कोरोना की मार चढ़ गया। इसके चलते स्कूल-कॉलेज कई महीने तक बंद रहे। विभागीय स्तर पर जिले के प्रारंभिक, हाई एवं इंटर स्कूलों के नियमित शिक्षक एवं शिक्षिकाओं तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों की मूल सेवा पुस्तिका को ऑनलाइन किया गया है। 177 अपग्रेड हाई स्कूलों में 529 स्नातक ट्रेंड शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति कर नौवीं की पढ़ाई शुरू हुई। छात्रवृत्ति के लिए 37,562 ने दिया आवेदन : पोस्ट मैट्रिक प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत जिले में 37,562 आवेदन मिले। इसमें से अब तक कुल 24,319 आवेदनों का सत्यापन जिला स्तर से किया जा चुका है। शेष आवेदनों में से 629 गलत पाए गए। जबकि, 667 आवेदनों को रद कर दिया गया। इसके अलावा 2330 आवेदनों का सत्यापन अन्य राज्य एवं जिले के शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किया जाना था, जो नहीं किया गया। जिस कारण इसका सत्यापन जिला स्तर पर नहीं किया जा सकता है। वहीं 9616 आवेदन जिनका एक से अधिक कोड निर्गत रहने के कारण वर्तमान में सत्यापन नहीं किया जा सका है। इसके लिए राज्य स्तर पर पत्राचार किया गया है। विभागीय स्तर पर शत-प्रतिशत आवेदनों का सत्यापन कराना सुनिश्चित किया जा रहा है। साढ़े चार लाख से अधिक का खोला जा चुका है बैंक खाता :
मुख्यमंत्री बालिका साइकिल व पोशाक योजना के तहत कक्ष एक से बारहवीं तक कुल सात लाख 70 हजार 573 छात्र-छात्रा नामांकित हैं। इनमें से छह लाख 81 हजार 838 का बैंक खाता खोला जा चुका है। जिसमें 75 प्रतिशत उपलब्धि के आधार पर कुल चार लाख 78 हजार 25 छात्र-छात्राओं का शत प्रतिशत बैंक खाता खोला जा चुका है। विदित हो कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कक्षा एक से बारहवीं तक नामांकित कुल सात लाख 44 हजार 592 के विरुद्ध सात लाख एक हजार 310 छात्र-छात्राओं की एंट्री कर दी गई थी। जिसमें सभी का बैंक खाता खोला जा चुका था। कितु, 43 हजार 282 छात्र-छात्राओं का खाता अद्यतन नहीं था। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में शिक्षा विभाग फिसड्डी :
जिले के प्रारंभिक स्कूलों से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में शिक्षा विभाग असफल रहा। जिले में 111 हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक के स्वीकृत पद में से आधा दर्जन ही कार्यरत हैं। वर्ष 2008 के बाद से ही प्रधानाध्यापक पद पर शिक्षकों को विभागीय प्रोन्नति नहीं मिली।

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