संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल): मिथिला राज्य निर्माण समिति वीरपुर में शनिवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस कर अलग मिथिला राज्य के निर्माण की मांग की। सेना के महासचिव राजेश कुमार झा ने बताया कि वर्ष 1907 ई0 में मिथिला राज्य निर्माण की मांग पहली बार की गई थी। इसके बाद वर्ष 1927 में कामेश्वर प्रसाद सिंह और जयपाल मुंडा ने भी अलग मिथिला राज्य के निर्माण की मांग मजबूती से उठाई। आजादी के बाद भी वर्ष 1956 ई0 में भी मैथिली भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई। इसके बाद काफी लंबे अरसे के इंतजार के बाद वर्ष 2003 तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में मैथिली भाषा को अष्टम सूची में शामिल किया जिससे राष्ट्रीय स्तर पर मैथिली की अपनी पहचान बनी लेकिन आठ करोड़ की आबादी वाले मैथिली भाषी लोगो की अलग मिथिला राज्य के निर्माण की मांग दब कर रह गई। वर्ष 2013 में 14 जनवरी को दिल्ली स्थित संविधान भवन में अलग मिथिला राज्य निर्माण सेना का गठन किया गया। इस गठन के पीछे उद्देश्य है कि मिथिला क्षेत्र के लोगों को संगठित कर अलग मिथिला राज्य के निर्माण की लड़ाई लड़ी जा सके। कहा कि मिथिला राज्य सेना के बैनर तले पृथक मिथिला राज्य निर्माण को लेकर दो जनवरी से दूसरे चरण का आंदोलन शुरू किया जाएगा जो महिषी बनगांव स्थित उग्रतारा मंदिर से चलकर कारू खिरहर, सिघेश्वर, सुपौल, जदिया, छातापुर बलुआ होते हुए अन्धरा ठाढ़ी में जाकर समाप्त होगी। इस मौके पर वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रवीण नारायण चौधरी, जीवानंद झा संरक्षक, आकाश कुमार गौतम, इंद्रमणि मिश्र, सुधीर मिश्र आदि दर्जनों लोग मौजूद रहे।