अलिवदा 2021: कोरोना ने ले डूबा बच्चों की शिक्षा, नए साल के आमद से बढ़ी उम्मीदें



अफसर अली, जागरण संवाददाता, अररिया : पिछले दो साल से कोरोना महामारी ने बच्चों के भविष्य पर ग्रहण लगा दिया था। कोरोना महामारी के चलते स्कूल कालेज, तकनीकी संस्था, कोंचिग, आंगनबाड़ी केंद्र आदि बंद थे। हालांकि बीच बीच में सरकारी निर्देश पर खुले भी पर जैसे व्यवस्था स²ढ़ होती फिर बंद कर दिए गए थे। इससे बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ा। अररिया जैसे पिछड़े जिले में करीब सात लाख से अधिक बच्चों की भविष्य अंधकार में चली गई। बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई। खासकर गरीब तबके बच्चे पढ़ाई से महरूम होने लगे। हालांकि कुछ माह पहले सरकारी व निजी स्कूलों को खोलने का आदेश दिया गया। परंतु बेपटरी हो चुकी शिक्षा व्यवस्था फिर से पटरी लाने की कोशिश हो रही है। बच्चे स्कूल कालेज जाने लगे हैं।
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- नीति आयोग के निर्देश पर हुआ था बहुत काम:
कोरोना काल से पहले नीति आयोग के निर्देश पिरामल फाउंडोशन, शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के संयुक्त अभियान के तहत विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था स²ढ़ करने के लिए ढेर सारे काम किए गए थे। बाला पेंटिग, प्रशिक्षण कार्यक्रम, खेल खेल में बच्चों की पढ़ाई, विशेष नामांकन अभियान सहित अन्य कार्यक्रम संचालित हुआ था। इससे शिक्षा व्यवस्था बेहतर होने के साथ साथ सरकारी स्कूलों में रौनक आई थी। लेकिन कोरोना महामारी ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
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- 1417 प्राथमिक 627 मध्य विद्यालय स्थापित :
जिले में 2044 प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं। जिसमें 1940 ऐसे विद्यालय एमडीएम संचालित है। नए सत्र में करीब साढ़े सात लाख बच्चे नामांकित हैं। पिछले साल प्रारंभिक विद्यालयों में करबी छह लाख बच्चे नामांकित थे। इस बार विशेष नामांकन अभियान चलाकर एक लाख 56 हजार बच्चों को विद्यालय से जोड़ा गया है। इसमें पलायन करने वाले वाले मजदूरों के बच्चे भी शामिल हैं। जो कोरोनाकाल के समय लाकडाउन के दौरान अपने गांव लौट आए थे।
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आनलाइन शिक्षा की कवायद हुई थी तेज :
कोरोना काल के चलते शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव हुए। बच्चों को आनलाइन शिक्षा दिलाने पर फोकस दिया गया। दूरदर्शन व सोशल मीडिया फेसबुक, वाट्सएप आदि के माध्यम बच्चों को शिक्षा देने की कोशिश हुई। परंतु आकांक्षी जिले में शामिल अररिया के आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक आधुनिक मोबाइल बच्चों को उपलब्ध नहीं करा सके। इसके चलते अधिकांश बच्चे आनलाइन शिक्षा से वंचित रह गए। हालांकि विभाग ने ऑनलाइन तरीके से ही विद्यार्थियों तक पढ़ाई से जुड़ी सामग्री मुहैया कराई थी। दूरदर्शन के माध्यम से पठन-पाठन संचालित हुई थी।
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-अभिभावकों को जगी थी उम्मीद :
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मंजूर आलम ने बताया कि कोरोना की पहली लहर कम होते ही वर्ष 2021 में जनजीवन पटरी पर लौटने लगी थी। स्कूलों को खोलने का आदेश दिया गया। स्कूल खुले भी और विशेष अभियान चलाकर स्कूल से दूर बच्चों को विद्यालय से जोड़ा जाने लगा। अभिभावकों को उम्मीद जगी थी कि अब बच्चों के भविष्य पर लगा ग्रहण छंट जाएगा। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आ गई है बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होने लगे थे। दूसरी बार फिर राज्य के तमाम शिक्षण संस्थानों में ताला लग गया था। कुछ माह से फिर से जनजीवन पटरी पर लौटने लगी है। नए साल में शिक्षा को लेकर बेहतर होने की उम्मीद है।
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उम्मीदें 2022
नए साल में सपने होंगे साकार:
नया साल 2022 में शिक्षा व्यवस्था में बेहतर होने के प्रबल आसार हैं। यदि सबकुछ ठीक रहा तो बच्चों के सपने साकार हो सकेंगे। कोरोना काल की समाप्ति होगी और बच्चों का भविष्य सुनहरा होगा। जिले में मेडिकल कालेज व इंजीनियरिग कालेज खुलने की उम्मीदें बढ़ गई है। सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने कुछ दिन पहले जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर रामपुर कोदरकट्टी पंचायत में मेडिकल कालेज खोलने के लिए लोकसभा में आवाज बुलंद की थी। वर्ष 2019 में जिले में मेडिकल कालेज खोलने की स्वीकृति मिल गई थी। जिला प्रशासन ने जमीन चिन्हित कर सरकार को रिपोर्ट भेज दिया था। नया साल में इंजीनियरिग की पढ़ाई शुरू होने की संभावना है। इसके लिए अल्पसंख्यक, एसएससटी छात्रवास, माडल कालेज, पारा मेडिकल कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थान खोलने के प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। आशा है कि नया साल में तकनीकी शिक्षा के तरफ जिले के छात्रों का बढ़ता कदम होगा। वहीं बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिले के सभी बालिका कस्तूरबा विद्यालयों की प्रोन्नति दी गई है। अभी तक सभी कस्तूरबा विद्यालय में केवल आठवीं तक की
पढ़ाई व छात्रवास की व्यवस्था है, लेकिन नया साल में सभी कस्तूरबा विद्यालय में प्लस टू तक की पढ़ाई व छात्रावास की व्यवस्था की जाएगी। दस में से पांच कस्तूरबा विद्यालयों को भवन निर्माण कराने की स्वीकृति मिल गई है। बहुत जल्द भवन निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
कोट-
नए वर्ष में नए उमंग उत्साह के साथ स्कूलों में बच्चों के भविष्य को संवारने का प्रयास होगा। बच्चों की क्षति को पूरा करने की हर संभव कोशिश की जा रही है। पूरी आशा है कि नए वर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में अररिया का पहचान होगा। इसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
राज कुमार, डीईओ अररिया।

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