लचर ट्रैफिक व्यवस्था लोगों के जान पर पड़ी भारी

राकेश मिश्रा, संसू, अररिया: पूरे साल जिले का ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल रहा। अगर आंकड़ो पर गौर करें तो 2021 में जर्जर वाहनों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में सौ से अधिक जिदगी काल के गाल में समा गई। इसमें तीन फीसद से अधिक दुर्घटनाएं सिर्फ जर्जर वाहनों के कारण हुई है। नियमों की माने तो कोई भी निबंधित गाड़ी 15 साल तक ही सड़कों पर चलने के योग्य माना जाता है। लेकिन स्थिति यह है कि 20 वर्ष पूर्व निबंधित गाड़ियां भी सड़कों पर पूरे साल मौत बन कर दोरती रही । इस साल जिलेवासियों को उम्मीद थी कि जिले में ट्रैफिक थाना बनेगा। जिससे यातयात सुगम होगा और लोग आए दिन लगने वाले जाम से लोग हलकान नही होंगे। परंतु यातायात नियमों को पालन कराने व वाहनों की जांच के लिए ट्रैफिक थाना नहीं बनाया गया। वाहनों के फिटनेस से लेकर जुर्माना वसूलने का जिम्मेदारी परिवहन विभाग, पुलिस और नप के कंधे पर रही। इन विभागों ने भी ट्रैफिक के सही संचालन के लिए खास रुचि नही दिखाई। कभी- कभी नगर परिषद द्वारा इधर-उधर लगी गाड़ियों को जब्त किया गया। लेकिन ये केवल साल में 2, 4 दिन तक ही सीमित रहा। पुलिस और नप द्वारा भी कभी कभी सड़कों से अतिक्रमण भी हटाया गया। लेकिन कुछ दिन बाद सड़कों पर अतिक्रमणकारियों ने फिर से कब्जा कर लिया गया।

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सबसे खराब स्थिति में अररिया और फारबिसगंज स्टैंड- अगर ट्रैफिक की सबसे बड़ी समस्या कही देखने को मिली तो वो अररिया और फारबिसगंज बस स्टैंड के आस- पास है। फारबिसगंज स्टैंड, पटेल चौक आदि जगह और अररिया का बस स्टैंड, चांदनी चौक, गुदरी बाजार में लोगो का 10 बजे से तीन बजे तक पैदल चलना भी मुश्किल रहा। इन जगहों पर प्रशासन द्वारा ट्रैफिक की कोई व्यवस्था नही की गई। आये दिन बूढ़े- बच्चें, महिला सभी इन जगहों पर घंटों जाम में फंसते रहे। लेकिन ट्रेफिक के सही संचालन की व्यवस्था नही की गई। पूरे साल ताजुब्ब की बात ये रही कि घंटों जाम लगने के बाद इससे हटाने की जिम्मेदारी भी आम लोगो के कंधे पर रही। लोग खुद ही जाम में फंसते रहे और खुद ही निकलने का जुगाड़ भी लगाते रहें। दरअसल जाम लगने के दौरान इसे हटाने कभी कोई पुलिस या नप कर्मी नही पहुंचा। ये जिले में ट्रैफिक संचालन की दास्तां को बताता है।
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एनएच पर दौड़ती है मौत: पूरे साल जिले से होकर गुजरने वाली एनएच 57 और एनएच 327 पर तेज रफ्तार गाड़ियां दौड़ती रही लेकिन इन पर दौड़ने वाले वाहनों व उसके रफ्तार के मानक की जांच के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। इसका अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है कि जिला बनने के दशकों बाद भी यहां ट्रैफिक थाने की व्यवस्था नहीं की गई है। नतीजतन जर्जर हालत में इन सड़कों पर बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के दौड़ने वाले वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहे । खास कर ग्रामीण इलाकों में साइकिल से लेकर बड़े वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण भी जर्जर वाहन शामिल थे। इसमें खास कर जर्जर ट्रक और ट्रैक्टर शामिल थे जो अनफिट होने की वजह से अनियंत्रित होकर कहीं भी टक्कर मार देते हैं या फिर खुद ही दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी दुर्घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हुई। ऐसे में लोग पूरे साल वाहन के फिटनेस शुल्क बचाने के चक्कर में बड़ी मूल्य चुकाते रहे।
फिटनेस, इंश्यारेंस फैल मगर जाम लगाती रही गाड़ियां- जिले में 40 फीसद वाहनों के फिटनेस और इंश्योरेंस फेल है। मगर ये पूरे साल सड़को पर जाम लगाती रही। परिवहन विभाग इस मामले में पूरे साल शिथिल रहा। कभी- कभी र्कारवाई हुई तो बस नाम का। जिले में तीन व चार पहिए वाहनों की संख्या लगभग तीन लाख से अधिक है। साथ ही यहां नई गाड़ियों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। अधिकारी बताते हैं कि यहां के लोग लोग दूसरे जिले से भी वाहनों का निबंधन करा लेते हैं। परंतु इस साल वाहनों के होने वाले फिटनेस टेस्ट पर गौर करें तो उसकी संख्या 60 फीसद से भी कम है। 40 फीसद गाड़ियां विभागीय मानक के मुताबिक अनफिट करार दी गई है। इसके बावजूद ये गांड़ियां क्षेत्र की सड़कों पर पूरे साल नजर आती रही।
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बेपरवाह दौड़ती रही टोटो और जुगाड़ गाड़ी- जिले में इस साल बैट्री चलित टोटो गाड़ी की संख्या में बेतहासा बढ़ोतरी हुई है। इन गाड़ियों को नप द्वारा कोई लाइसेंस या परमिट नही है। ये बिना अनुमति के सड़कों पर दौड़ती रही। शहर में आटो स्टैंड नही रहने के कारण ये लोग इधर उधर गाड़िया पार्क करते रहें। बीच सड़क पर रास्ता अवरुद्ध कर यात्री उठाते रहें। जाम लगता रहा प्रशासन, पुलिस तमाशा देखता रहा इसके अआवा जुगाड़ गाड़ी के परिचालन पर रोक है। बावजूद क्षेत्र की सड़कों पर जुगाड़ गाड़ी बेपरवाह दौड़ती नजर आती रही। इसमें ब्रेक की सुविधा नहीं होने की वजह से अधिकांश जुगाड़ गाड़ी हादसे की खास वजह बनते रहे। गांव में लोग जुगाड़ गाड़ी को जानलेवा गाड़ी का नाम से जानते है। इसके बावजूद ये गाड़ियां दौड़ती रही साल भर के हादसे के बढ़े ग्राफ की वजह ये जुगाड़ गाड़ियां भी रही । जिसके चालक बिना ड्राइवरी लाईसेंस के ही इसे चला रहे थे।
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उम्मीद-ओवर ब्रिज बनने से जाम से मिलेगा निजाद
फारबिसगंज और अररिया में बन सकता है ओवरब्रिज- नूतन वर्ष में महादेव चौक और फारबिसगंज स्टैंड के निकट ओवरब्रिज बन सकता है। प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए पहल की गई है। इसके लिए काफी लंबे समय से मांग चल रही थी। महादेव चौक पर एनएच होकर पैदल पथ पार करने के कारण कई घटना घटित हुई जिस कारण लोगों ने एक कमिटी के गठन कर ओवरब्रि•ा बनाने का मांग तेज की। मामले पर संज्ञान लेते हुए विभागीय स्तर से कवायद की गई है, जिसके स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार नव वर्ष में इसकी स्वीकृति मिल सकती है।

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